सावधान: कहीं आप नकली अंडे तो नहीं खा रहे, ऐसे करें पहचान

Update: 2017-08-27 10:35 GMT
प्रतीकात्मक तस्वीर।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

मेरठ। अंडे के शौकीन बहुत से लोग होते है। अंडा सेहत के लिये फायदेमंद भी होता है। आमतौर पर लोग ब्वायल, ऑमलेट या फिर दूध के साथ भी इसका सेवन करते हैं, लेकिन ये जानकर आपको हैरानी होगी कि बाजार में नकली अंडों की खेप भी आ चुकी है। ऐसे में सवाल ये उठता है आखिर हम कैसे पहचानें कि अंडा असली है या नकली। तो हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप असली और नकली अंडों की पहचान कैसे कर सकते हैं.....

ऐसे बनता है नकली अंडा

विषेशज्ञ डॉ. निकेतन बताते हैं कि नकली अंडे के बाहरी हिस्से को बनाने के लिए जिप्सम चूर्ण, कैल्शियम कार्बोनेट और तेल युक्त मोम का इस्तेमाल होता है। कैल्शियम की मात्रा उतनी ही होती है कि जितना एक मनुष्य खा सकता है। इसके अंदर वाला हिस्सा जिलोटिन, सोडियम एल्गिनाइट और कैल्सियम की मदद से बनाया जाता है। इसका रंग बिल्कुल अंडे की तरह होता है, इसलिए इसकी पहचान कर पाना मुश्किल है।

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बनाने की विधि

गरम गुनगुने उचित पानी में सोडियम एल्गिनाइट मिलाया जाता है। इसके बाद जिलोटिन बेंजाइक अम्ल एल्यूम और कुछ दूसरे रसायनों के साथ मिलाकर अंडे का सफेद वाला भाग तैयार किया जाता है। इसे बाद मिश्रण में कैल्सियम क्लोराइड डालकर उसे अंडे के आकार में ढाल दिया जाता है। कृत्रिम अंडा केवल रासायनिक पदार्थों से तैयार किया जाता है।

ऐसे करें पहचान

कृत्रिम अंडे का बाहरी छिलका हल्के भूरे कलर और खुरदरा होता है। जबकि असली अंडा चिकना होता है। उबालने के बाद कैल्शियम कार्बोनेट का आवरण तोड़ने पर कृत्रिम अंडे का भीतरी हिस्सा असली की तुलना में बेहद कठोर और रबर की तरह खिंचता है। पीला भाग थोड़ी उंचाई से छोड़ने पर गेंद की तरह उछलता है। यह धारदार वस्तु से ही काटा जा सकता है। चीनी व नकली अंडे के भीतर से भी असली की तरह ही पदार्थ निकलता है।

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ये हैं नुकसान

एफएसडीए अधिकारी बताते हैं कि इस तरह रसायनिक अंडे के लगातार सेवन से कैंसर, अल्जाइमर कमजोर, याददाश्त कमजोर होने जैसी बीमारियां मनुष्य को घेर लेंगी। इसके अलावा लीवर खराब, त्वचा संबंधी रोग भी हो सकते हैं। आईएमए अध्यक्ष डॉ. विरोत्तम तोमर बताते हैं कि जिलोटिन बेंजाइक अम्ल एल्यूम बॉडी में इंफेक्शन कर सकता है, मल्टी आर्गन की भी शिकायत देखने को मिल सकती है। डाइटीशियन भावना गांधी बताती हैं कि चाइनीज अंडे में इस्तेमाल होने वाले रसायन पूरी तरह से सिंथेटिक हैं। जो बाडी में जाते ही आर्गेन को भारी नुकसान पहुंचाएंगे।

पांच लाख का है जुर्माना

विभागीय अधिकारी बताते हैं कि यदि कोई इस धंधे में संलिप्त पाया गया तो पांच लाख का जुर्माना सहित जेल का प्रावधान है। वहीं डॉक्टर इस अंडे में घातक रसायन होने की बात कहकर सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक मान रहे हैं।

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