नई दिल्ली (भाषा)। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि बुजुर्ग व्यक्तियों के साथ उनके दुर्व्यवहार किया जाता है, भले ही उनकी आर्थिक या सामाजिक हालत, स्वास्थ्य स्थिति और परिवार में उनकी भूमिका जो भी हो।
एक गैर सरकारी संस्था ‘एजवेल फाउंडेशन’ ने भारतीय घरों में बुजुर्गों के साथ होती बदसुलूकी की वजह और इसका प्रभाव समझने के लिए अपने स्वयंसेवकों के मार्फत समूचे भारत के 323 जिलों के 3400 से ज्यादा बुजुर्गों से बातचीत की। इसका मुख्य केंद्र बुजुर्गों की जरूरत और अधिकारों पर था।
15 जून को ‘संयुक्त राष्ट्र बुजुर्ग दुर्व्यवहार दिवस’ के मौके पर जारी रिपोर्ट में पाया गया है कि 65 फीसदी वृद्ध गरीब हैं और उनकी आय का कोई ज्ञात स्रोत नहीं है। 35 प्रतिशत के पास धन या संपत्ति, बचत, निवेश, पैतृक धन या लायक बच्चे हैं।
वहीं 20 फीसदी बुजुर्गों ने कहा कि उनके सामाजिक जीवन पर बंदिश रखी जाती है। 37 फीसदी वृद्धों ने कहा कि उनके साथ दुर्व्यवहार और गलत सुलूक किया जाता है जबकि आठ प्रतिशत ने उत्पीड़न के अन्य तरीकों के बारे में बताया। दुराचार की कुछ किस्मों में खाना और दवाइयां नहीं देना, भावनात्मक ब्लैकमेल, धमकाना, चीखना, गालियां देना, पीटना हैं।
बुजुर्गों के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए काम करने वाले एनजीओ के प्रमुख हिमांशु रथ ने कहा कि बुजुर्गों के पास अपने साथ होने वाले दुर्व्यवहार को रोकने के कई तरीके हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को वृद्धों के अधिकार के बारे में जारूगता फैलानी चाहिए, प्रशासन के हर स्तर पर बुढ़ापे से संबंधित मुद्दे को लेकर एडवोकेसी फैलानी चाहिए और बुजुर्ग व्यक्तियों के हितों के संरक्षण से संबंध रखने वाली नीतियों को लागू करना सुनिश्चित करना चाहिए।