भ्रम का जाल है सिजोफ्रेनिया

Update: 2016-03-30 05:30 GMT
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मनोवैज्ञानिक अलीम सिद्दीकी बताते हैं “सीजोफ्रेनिया एक तरह की मानसिक बीमारी है, जिसमें इंसान अपने दिमाग में अपनी एक अलग काल्पनिक पहचान विकसित कर लेता है और वास्तविकता से अलग उसी पहचान में जीने लगता है। इस बीमारी में दिमाग में डोपोमिन न्यूरो ट्रांसमीटर और दिमाग के न्यूरॉस के आपसी तालमेल गड़बड़ होने से यह बीमारी हो सकती है।” सीजोफ्रेनिया में रोगी को नज़र का धोखा, जल्दी-जल्दी मूड बदलना, बेहद अमीर होने का भ्रम, किसी से बहुत अधिक जलन करने की समस्याएं होती हैं। 

यह बीमारी 20-30 की उम्र में होने की सम्भावना ज्यादा होती है। लोगों में जानकारी की कमी होने के कारण बीमारी बढ़ जाती है और सही समय पर चिकित्सा न शुरू हो पाने के कारण बीमारी जड़ जमाने लगती है।

डॉ. अलीम बताते है “अगर परिवार का कोई व्यक्ति इस बीमारी से ग्रस्त है तो बच्चे को भी सिजोफ्रेनिक की बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। दिमाग में हार्मोनल असंतुलन भी इसकी वजह होता है।”

क्या हैं लक्षण

=व्यक्ति ठीक ढंग से सोच नहीं पाता है।

=कुछ नया करने और सीखने की चाहत खत्म होना।

=चेहरे में किसी प्रकार के भाव नजर नहीं आना।

=इससे पीड़ित व्यक्ति का बे-सिर पैर की बातें करना।

=आस-पास के माहौल के उलट अदृश्य चीजों की बातें करना (काल्पनिक दुनिया में रहता है)।

=रोगी कई प्रकार की सुगंध, स्पर्श और स्वाद को महसूस करता है (अपनी कल्पना में)।

=हर किसी को संदेह की नज़रों से देखना, कहीं वह मेरी बुराई तो नहीं कर रहा है।

=किसी भी रिश्ते को संदेह से देखना कि कहीं यह मुझे धोखा तो नहीं दे रहा है।

=शब्दों को सही ढंग से न बोल पाना और अपने आप में बुदबुदाते रहना।

क्या है कारण

सिज़ोफ्रेनिया किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। अन्य बीमारियों की तरह ही यह रोग भी परिवार के करीबी सदस्यों में अनुवांशिक रूप से जा सकती है। मस्तिष्क में रासायनिक बदलाव या बच्चे की पैदाइश में किसी प्रकार की दिक्कत होने से भी इस बीमारी के होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

इलाज

डॉ. अलीम बताते हैं, “इस बीमारी को अक्सर लोग गलत नजरिए से देखते हैं जैसे भूत-प्रेत का साया समझने लगते हैं और इलाज के लिए झाड़-फूंक का सहारा लेते हैं। इस वहज से यह बीमारी गम्भीर रूप धारण कर लेती है। इसलिए सबसे ज्यादा जरूरी है, सही समय पर रोग की पहचान और जल्द से जल्द इलाज की शुरुआत की जाए। इलाज से रोगी काफी हद तक ठीक हो जाते हैं।”

डॉक्टर की सलाह से दवाएं (सीजोफ्रेनिया की दवा है एंटी साइकोटिक) शुरू करना। डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का नियमित सेवन करें और आस-पास का माहौल अच्छा रखना चाहिए, जिससे रोगी जल्द से जल्द उबर सके।

रिपोर्टर - नाज़नीन

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