बिहार के विकास से पंजाब में धान की रोपाई प्रभावित

Update: 2016-07-05 05:30 GMT
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जालंधर। पंजाब में कम बारिश और सरकारी उपेक्षा का दोहरा मार झेल रहे पंजाब के किसानों के सामने बिहार के विकास के कारण धान की खेती के लिए मजदूरों की सबसे बड़ी समस्या आ खड़ी हुई है। इससे सूबे में धान की रोपाई प्रभावित हो रही है और और इसका प्रभाव अन्य फसलों पर पड़ने का डर सताने लगा है।

पंजाब में अभी धान रोपाई का काम चल रहा है। प्रवासी मजदूरों के पर्याप्त संख्या में यहां नहीं आने से सूबे के किसानों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों का कहना है सबसे अधिक श्रमिक यहां बिहार से आते थे। अब बिहार में ही लोगों को काम मिल रहा है इसलिए वह पंजाब नहीं आ रहे हैं और इससे यहां खरीफ की रोपाई में समस्या हो रही है।

प्रदेश में दस जून के बाद धान की रोपाई का मौसम शुरू हो जाता है। खेती-बाड़ी के लिए राज्य के किसान बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों से आने वाले प्रवासी मजदूरों पर ही मुख्य रूप से निर्भर हैं। इस मौसम में इन राज्यों से बड़ी तादाद में प्रवासी श्रमिक अपनी रोजी रोटी के लिए यहां आते हैं लेकिन पिछले कुछ साल से इस राज्य में मजदूरों की कमी हो रही है जो इस साल भी जारी है। पंजाब सरकार के कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक स्वतंत्र कुमार ऐरी ने कहा, ‘‘प्रदेश में धान के कुल रकबे में से बासमती को छोड़कर अबतक लगभग 70 फीसदी में धान की रोपाई का काम पूरा हो चुका है। बिहार-झारखंड सहित कई राज्यों में मनरेगा की सफलता से मजदूरों की संख्या में पिछले कुछ साल में गिरावट आई है इसलिए धान की रोपाई में तेजी नहीं है।”

दोगुनी मजदूरी पर भी नहीं मिल रहे श्रमिक

किसानों का कहना है दोगुनी मजदूरी देने के बावजूद काम करने वाले श्रमिक उन्हें नहीं मिल रहे हैं। आलम यह है कि सरहिंद, राजपुरा, खन्ना, लुधियाना, बरनाला और जालंधर जैसे इलाकों में धान की रोपाई का काम बहुत धीरे चल रहा है। उनका कहना है श्रमिकों की कमी, कम बारिश, नहरों में पानी का अभाव और सरकारी उपेक्षा से तो धान की रोपाई में देरी हो ही रही है, इसके अलावा खाद और डीजल की बढ़ती कीमतें तथा बिजली की नियमित कटौती ने किसानों की कमर तोड़ रख दी है।’’ 

जिले के किसान गुरदीप सिंह ने कहा, ‘‘हम मजूदरों को एक एकड़ की रोपाई के लिए 2200 रुपए तक देने को तैयार हैं, फिर भी श्रमिक नहीं मिल रहे हैं और जो तैयार होते हैं वह कहते हैं कि दूसरे का काम खत्म करने के बाद ही वह यहां आएंगे।’’ किसानों को इस बात की चिंता सता रही है कि धान की रोपाई में देरी से आलू जैसी तीसरी फसल प्रभावित हो सकती है। उनका कहना है कि मजदूरों को अधिक मजदूरी देने और डीजल पंप से सिंचाई के कारण कृषि खर्च बढ़ रहा है। 

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