गोंडा/बहराइच। बच्चों को कुपोषण से दूर करने के लिए सरकार आंगनबाड़ी योजना चला रही है, जिसमें 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों के भोजन, शिक्षा और पोषण का ध्यान रखा जाता है, लेकिन कई पंचायतें ऐसी हैं जहां इन केंद्रों के ऊपर छत तक नहीं है।
गोंडा जिला मुख्यालय से लगभग 45 किमी दूर दक्षिण दिशा में नवाबगंज के बाबागंज में आंगनबाड़ी केंद्र के लिए कोई बिल्डिंग नहीं है जबकि गाँव के लगभग 35 बच्चे वहां पंजीकृत हैं। इस बारे में आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री प्रतिमा पाठक बताती हैं, ''हम तो पिछले तीन साल से हैं लेकिन कोई केंद्र नहीं है यहां, इसके लिए कई बार पत्र लिखकर दिया गया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बच्चे कभी-कभी इकट्ठा होते हैं तो प्राइमरी स्कूल के बरामदे में उन्हें खेल वगैरह करा देते हैं। बाकी भोजन नहीं बनता, बस लइया चना और दलिया बांट दी जाती है।"
समेकित बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) के मुताबिक उत्तर प्रदेश में इस समय कुल 166073 आंगनबाड़ी केंद्र और 22186 लघु आंगनबाड़ी केंद्र हैं। जिले में हलधरमऊ और रुपईडीह ब्लॉक के भी आंगनबाड़ी केंद्र भी राम भरोसे चल रहे हैं। बहराइच जि़ले से लगभग 40 किमी दूर पश्चिम दिशा में चितौरा पंचायत का आंगनबाड़ी केंद्र के पास भी अपना कोई भवन नहीं है। वहां की आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री रूपमाला देवी (35 वर्ष) बताती हैं, ''केंद्र का भवन आंधी-तूफान में एक साल पहले गिर गया था, तब से बना ही नहीं। बच्चे भी नही आते अब तो बस हफ्ते में एक दिन बुधवार को इकट्ठा हो जाते हैं तो कही भी स्कूल के बरामदें या पेड़ के नीचे खेलते हैं, थोड़ी देर किताब वगैरह दे देते हैं वहीं।"
आंगनबाड़ी केंद्र पर 0 से 6 माह तक के बच्चों, किशोरियों और गर्भवती महिलाओं के विकास की जांच की जाती हैं। यहां से इन्हें पोषाहार जिसमें दालें, लइया चना, मक्का, सत्तू, आयोडीन युक्त नमक और दलिया दिया जाता है, जिससे ये कुपोषित न रहें। ''केंद्र न होने के कारण न बच्चों को सही से पोषण मिल पाता है और न ही उनके विकास के लिए कोई क्रियाविधि करा पाते हैं। अगर एक केंद्र बन जाये तो बहुत फायदा होगा, बच्चे भी स्कूल जाने से पहले थोड़ा बहुत केंद्र से सीख लेते हैं।" चित्तौरा गाँव की आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री नीलम कुमारी बताती हैं।
0 से 6 माह तक के बच्चों के प्राथमिक अधिकारों पोषण स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए आईसीडीएस योजना के तहत आंगनबाड़ी योजना दो अक्टूबर 1975 में उत्तर प्रदेश से शुरू की गई।