बकरियों का इलाज कर रहीं पशु सखियां

Update: 2016-07-31 05:30 GMT
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लखनऊ। प्रदेश के पशुचिकित्सालयों में बकरियों को उचित इलाज न मिल पाने के कारण कभी- कभी झुंड की झुंड बकरियां मर जाती हैं, जिससे पशुपालको को काफी आर्थिक नुकसान होता है। इसके लिए एक गैर सरकारी संस्था द गोट ट्रस्ट ने नई पहल शुरु की है। 

बकरियों को सही इलाज मिले और समय पर टीकाकरण हो इसके लिए संस्था ने गाँव-गाँव में पशु सखी बनाई है। लखनऊ जिले के रसूलपुर सादात गाँव में स्थित यह संस्था पिछले पांच वर्षों से बकरियों पर काम कर रहा है। इस संस्था से अब तक 15 राज्यों की लगभग तीन हजार से ज्यादा महिलाएं पशु सखी के रुप में जुड़ी हुई है। 

पचीस वर्षीय असना पशु सखी के रुप में अपने गाँव की बकरियों के खाने-पीने, उनका गर्भाधान कराने गाँव के लोगों को जागरूक करने का काम तो करती है साथ ही खाद बनाकर और उनका इलाज करके अपना आय का जरिया भी बना रहीं हैं। बहराइच जिले के पिथौरा ब्लॉक के रहमतपुरवा गाँव में रहने वाली असना पिछले एक साल से पशु सखी के रुप में अपने गाँव में काम कर रही हैं। असना बताती हैं, “एक पहले हमारे गोट ट्रस्ट में ट्रेनिंग हुई थी जिसमें हम लोगों को बकरियों का रख-रखाव उनमें होने वाली बीमारियां, उपचार कई चीजों के बारे में बताते हैं। आज हमारे गाँव में मेरी देख रेख में 151 बकरियां हैं जो सभी स्वस्थ हैं।”

19 वीं पशुगणना के अनुसार पूरे भारत में बकरियों की कुल संख्या 135.17 मिलियन है, उत्तर प्रदेश में इनकी संख्या 42 लाख 42 हजार 904 है। लखनऊ के गोट ट्रस्ट के प्रबंध निदेशक संजीव कुमार बताते हैं, “पशुपालक की थोड़ी सी लापरवाही के कारण कई बार झुंड की झुंड बकरियां मर जाती हैं और प्रदेश के पशुचिकित्सालयों की स्थिति इतनी खराब है कि उनका इलाज हो पाना संभव नहीं होता है। इसलिए हम लोगों ने पशु सखी को तैयार किया। यूपी के लगभग 13 जिलों में हम काम कर रहे हैं। अभी 550 पशु सखियां हैं, इनको हम 15 दिन की ट्रेनिंग देते हैं और ट्रेनिंग खत्म होने के बाद एक किट देते हैं, जिसमें दवाईं भी रहती है।

संजीव आगे बताते हैं, “ट्रेनिंग में पशु सखी को बताया जाता है कि कैसे उन्हें पशुपालक को जागरुक करना है साथ उन्हें आय का जरिया कैसे बनाया जाए इसका भी प्रशिक्षण देते हैं जिससे वो इलाज के साथ पशु आहार बनाकर रुपए भी कमा सकें।”   संस्था के माध्यम से ये महिलाएं पहले घरों में चूल्हे-चौके तक ही सीमित थीं पर अब सशक्त बन रही हैं। 

रिपोर्टर- नीतू सिंह 

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