बन्डे की सहफसली खेती फायदेमंद

Update: 2016-07-21 05:30 GMT
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फैजाबाद। बन्डे की सहफसली खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। कम लागत में मुनाफा ज्यादा होने से किसानों का रूझान इसकी ओर बढ़ रहा है।

फैजाबाद के सोहावल ब्लॉक के मुकेश कुमार 40 वर्ष बताते हैं, “मैंने अपने पांच बीघा खेत में बन्डे की खेती कर रखी है बन्डे की बुवाई, जनवरी से फरवरी के शुरूआती सप्ताह में की जाती है, जिसका बीज 15 से 20 किलो मिलता है।” वो आगे बताते हैं, “इस खेती में हम दो फसलें लेते हैं खेतों में छोटी-छोटी क्यारियां बनाई जाती है क्यारी के ऊपर गेहूं बोया जाता है और बीच में बन्डा बो दिया जाता है जब तक बन्डा बड़ा होने का समय आता है तब तक गेहूं कट जाता है।”

इस खेती से कम लागत में अधिक फायदा होता है बन्डे की फसल में मेहनत और खर्चा दोनों कम होता है। बन्डे को स्थानीय बाजार से लेकर फैजाबाद, गोरखपुर, जौनपुर की मंडियों में आसानी से बिक जाता है। यह सब्जी अच्छी बनती है इसलिए इसकी मांग गाँव में अधिक रहती है।

राजेंद्र कुमार बताते हैं, “इसमें ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है सिर्फ पानी की आवश्यकता अधिक पड़ती है जिसके कारण यह बरसात के मौसम में बोई जाती है इसका देखरेख गुइया फसल जैसा रहता है इसमें ज्यादा कीटों का खतरा नहीं रहता और नीलगाय जैसी जंगली जानवरों का खतरा भी कम रहता है। इसे घरों में आलू की तरह कई साल तक रखा जा सकता है।”

रिपोर्टर - रवीश कुमार वर्मा

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