बकरियों का समय से टीकाकरण कर कम किया बीमारियों पर खर्च

अलग-अलग क्षेत्र में पशुपालन कर रहे इन किसानों ने पशुपालन का उचित प्रबंधन, समय पर टीकाकरण, डीवार्मिंग (पेट के कीड़े मारना) कराकर पशुपालन को मुनाफे का सौदा बनाया है। आप भी सीखें इन पशुपालकों की विशेष तकनीक, जिससे पशुपालन बना मुनाफे का बिजनेस।

Update: 2018-08-31 09:15 GMT

आजमगढ़। अब्दुल्ला अहमद अपने फार्म में बकरियों का नियमित टीकाकरण कराकर न सिर्फ दवाइयों पर होने वाले खर्च को कम कर रहे हैं, बल्कि हर वर्ष बेहतर उत्पादन कर के लाखों का मुनाफा भी कमा रहे हैं।

"बारिश शुरू होने के पहले ही मैंने सभी बकरे/बकरियों में खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) का टीकाकरण करा लिया था। मेरे पास पूरे साल का चार्ट है कि कब- कब कौन सा टीका लगना है, "अब्दुल्ला ने बताया। आजमगढ़ जिले से 25 किमी दूर फूलपुर ब्लॉक के महुवारा खुर्द गाँव में अब्दुल्ला का बकरी फार्म है। इस फार्म में बरबरी प्रजाति के बकरे और बकरियों को मिलाकर 250 पशु हैं।

बकरी पालन व्यवसाय में पिछले दो साल के अनुभव को साझा करते हुए अब्दुल्ला बताते हैं, "बकरियों के लिए टीकाकरण बहुत जरूरी होता है खासतौर पर पीपीआर का टीका। इस वैक्सीन को तीन साल में एक बार लगाकर पशुओं को मरने से बचा सकते हैं। इसका पहला टीका चार महीने में लग जाना चाहिए।"

अब्दुल्ला आगे कहते हैं, "टीकाकरण के परीक्षण के लिए मैंने 10 बकरों को कोई भी टीका नहीं लगवाया था। कुछ महीने बाद उनमें बीमारियां होने लगीं और वो कमजोर दिखने लगे, बाकी जिनमें लगा था वो सभी स्वस्थ थे और वो बिक भी गये।"

अब्दुल्ला के इस परीक्षण से उनको तो सीख मिली ही, साथ ही इससे यह भी पता चला था टीकाकरण पशुओं में होने वाली विभिन्न बीमारियों के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।

इंसानों की तरह पशुओं में भी टीकाकरण लगवाना जरूरी होता है, क्योंकि टीकाकरण विभिन्न रोगकारक जैसे जीवाणु, विषाणु, परजीवी, प्रोटोजोआ और कवक के संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर को तैयार करता है। साथ ही, उनमें विभिन्न बीमारियों के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। अगर पशुपालक अपने पशुओं का नियमित टीकाकरण कराता है, तो वो बीमारियों पर होने वाले खर्च को बचा सकता है।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद वर्ष 2016 में अब्दुल्ला ने बकरी पालन का व्यवसाय शुरू किया। इस व्यवसाय से मुनाफा कमाने के लिए अब्दुल्ला सही समय पर टीकाकरण कराने के साथ-साथ पशुओं में पेट के कीड़े मारने की दवा (डीवार्मिंग) और उनके आहार प्रंबधन का भी खासा ध्यान रखते हैं।

फार्म के पास ही बोया है हरा चारा

अपने खर्च को कम करने के लिए अब्दुल्ला ने अपने फार्म के आस-पास ही हरा चारा बोया हुआ है। "बकरियों को पर्याप्त मात्रा में हरा चारा मिले इसके लिए बोया हुआ है। ठंड के मौसम में गेहूं और जौ बोते हैं तो गर्मियों में पर्याप्त चारा मिल जाता है। वहीं ठंड में चना, मटर, अरहर के दाने मिल जाते हैं। इनको इसी हिसाब से बोते हैं कि इनके लिए आहार कम न पड़े और खर्चा भी कम आता है," अब्दुल्ला ने बताया।

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