बस्ती के 'चंदो ताल' से विदेशी पक्षियों का हो रहा मोह भंग

Update: 2015-12-27 05:30 GMT
गाँव कनेक्शन

बस्ती। चंदो ताल में अब विदेशी पक्षियों की चहचहाहट कम हो गई है। इसके पीछे कई कारण हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण पक्षियों का बड़े पैमाने पर शिकार होना। शिकारी लोग मछली के शिकार की आड़ में ताल में सूखे स्थान पर जाल डाल देते हैं। इनमें पक्षी आकर फंस जाते हैं। बाद में शिकारी इन्हें बाजार में ऊंची कीमत पर बेच देते हैं। 

बस्ती जिला मुख्यालय से आठ किमी की दूरी पर स्थित ऐतिहासिक चंदो ताल विकास खंड बहादुरपुर से लेकर विकास खंड कप्तानगंज के बीच है। इसका ज्यादा हिस्सा बहादुरपुर विकास खंड में है। यह ताल अब भी कई रहस्य समेटे है। ताल में अब भी मछुआरों के वर्षों पुराने मिट्टी, लोहे आदि के बर्तन मिलते हैं। वर्तमान समय में भी ताल से सैकड़ों परिवार की आजीविका चलती है। मछुआरे मछली शिकार करते हैं। सरकार ने इस ताल को पक्षी विहार घोषित किया है। 

हर वर्ष ठंड के समय विदेशी पक्षियों का जमावड़ा लगना शुरू हो जाता है। जिसमें साइबेरियन लाल सर, टिकया, कैमा, बत्तख, पनडुब्बी, सारस आदि पक्षी शामिल हैं। शिकारियों की नजर इन पक्षियों पर लगी रहती है।

हालांकि ताल की रखवाली के लिये दो वाच टावर बनवाए गए हैं, लेकिन इन पर किसी कर्मचारी की तैनाती न होने से शिकारियों के हौसले बुलंद रहते हैं। इस बार देशी-विदेशी पक्षियों की तादाद में भारी कमी आयी है, शायद इसमें शिकारियों की अहम भूमिका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हर वर्ष यह ताल ठंड के समय देशी पक्षियों की चहचहाहट से गूंज उठता था लेकिन इस वर्ष बहुत ही कम तादाद में पक्षियों का आगमन हुआ है। अगर समय रहते इन पक्षियों के संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य मे पक्षियों की तादाद में भारी कमी हो जाएगी।

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