लखनऊ। शैक्षिक सत्र शुरू हुए चार महीने गुजरने वाले हैं, लेकिन अभी तक बच्चों को ड्रेस नहीं मिल पायी है। जुलाई के महीने के अंतिम चरण में अब जाकर यूनिफार्म के लिए बजट जारी हो पाया है। प्रदेश सरकार द्वारा बुधवार को प्रदेश में पढ़ने वाले बच्चों के लिए 503.89 करोड़ का बजट जारी किया गया है।
अब जब तक बच्चों को ड्रेस मिलेगी, हो सकता है कि तब तक अर्धवार्षिक परीक्षाएं भी सम्पन्न हो चुकी हों। प्रदेश में 1.98 लाख प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 1.96 करोड़ बच्चों को नि:शुल्क यूनिफार्म वितरित किए जाने के लिए यह बजट जारी किया गया है।
हाल यह है कि नई-नई योजनाएं तो सरकार हर रोज बनाती रहती है, लेकिन सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की यूनिफार्म और किताबें वितरित किए जाने जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं का ध्यान सरकार को शैक्षिक सत्र लगभग आधा गुजरने के बाद ही आता है। यही वजह है कि शैक्षिक सत्र के लगभग चार महीने गुजरने के बाद स्कूली बच्चों को ड्रेस मिलना तो दूर किताबें तक नहीं मिल सकी हैं।
देश को तरक्की की राह पर ले जाने के लिए हर बच्चे को शिक्षित करने के कसीदे भी पढ़े जाते हैं, लेकिन सरकारी योजनाओं की हीलाहवाली के चलते बच्चों को किताबें और यूनिफार्म भी अब तक नहीं मिल सकी हैं।
शैक्षिक सत्र एक अप्रैल से शुरू हो चुका है। गर्मियों की छुट्टियों के बाद दोबारा स्कूल खुले भी लगभग एक महीना गुजरने को है, लेकिन सरकारी स्कूलों के बच्चे बिना यूनिफार्म या पुरानी यूनिफार्म में स्कूल में आने को मजबूर हैं। ओर सरकारी स्कूलों के बच्चों को स्कूल यूनिफार्म मिलने में अभी भी लगभग एक महीने का समय लग सकता है क्योंकि अभी तो बजट जारी किया गया है। इसके बाद भी कई ऐसी प्रक्रियाएं हैं, जिनसे होकर यूनिफार्म को स्कूलों में पहुंचने में समय लगेगा। नि:शुल्क यूनिफार्म विरण की प्रक्रिया के अन्तर्गत प्रदेश के प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा एक से आठ तक के छात्र-छात्राओं को दो सेट यूनिफार्म उपलब्ध करवाई जानी हैं।
बजट राज्य सरकार के जरिए राज्य परियोजना निदेशालय के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी के खाते में जाता है, जहां से स्कूल में बच्चों की संख्या उपलब्ध करवाये जाने के बाद प्रबंध समिति के खाते में भेजा जाता है। इसके बाद की प्रक्रिया होती है, जिलाधिकारी की अध्यक्षता में विद्यालय प्रबंध समिति की बैठक। जिसमें एक अन्य समिति गठित की जाती है, जिसको यूनिफार्म की गुणवत्ता और उसके वितरण की जिम्मेदारी दी जाती है। इस बारे में प्राथमिक विद्यालय दसदोई में कक्षा चार में पढ़ने वाले ललित की मां रामवती (40 वर्ष) कहती हैं, “हमेशा ऐसा ही होता है, छमाही परीक्षा निकट आ जाती हैं तब जाकर बच्चों को नई ड्रेस मिल पाती है।”
रिपोर्टर - मीनल टिंगल