चने में फूल आएं तो न करें सिंचाई

Update: 2016-01-01 05:30 GMT
गाँव कनेक्शन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद से कराई गई फसल मौसम सतर्कता समूह की बैठक में मॉनसून की परिस्थितियों को देखते हुए मंथन कर, कृषि सुझाव जारी किए गए हैं।

किसानों को सुझाव 

  • विलम्ब से बोई जाने वाली गेहूं की प्रजातियों की बुवाई शीघ्र खत्म करें। 
  • रबी फसलों की बुवाई के लिए प्रमाणित बीज का ही प्रयोग करें। 
  • गेहूं बुवाई व उर्वरक सही गहराई में डालने, कम व्यय में कतार में बुवाई के लिए जीरो टिल फर्टीड्रिल मशीन का प्रयोग करें। 
  • पशुओं में सभी तरह के रोगों का टीकाकरण विभाग से मुफ्त है जो कृषकों के द्वार तक जा कर लगाया जा रहा है।  

गेहूं की खेती 

  • गेहूं की विलम्ब से बुवाई के लिए क्षेत्रीय संस्तुत प्रजातियों जैसे एचआई-1563, डीबीडब्ल्यू-16, के-9423, के-9533, के-9162, डीबीडब्ल्यू-14, नरेन्द्र गेेहूं-1076, नरेन्द्र गेहूं-2036,के-7903, राज-3765, एचयूडब्ल्यू-234 व पीवीडब्ल्यू-373 की बुवाई 125 किग्रा. प्रति हेक्टयर की दर से शीघ्र खत्म करें। 
  • ऊसरीली भूमि के लिए संस्तुत प्रजातियों केआरएल-210, केआरएल-19 व केआरएल-213 की बुवाई खत्म करें। 

अन्य फसलें 

  • चना में प्रथम सिंचाई आवश्यकतानुसार फूल आने से पहले करें। फूल आते समय सिंचाई कदापि न करें इससे हानि होगी।
  • खेत में यदि कटुआ कीट दिखाई दे रहे हों तो स्थान-स्थान पर बर्ड पर्चर अथवा थोड़ी-थोड़ी मात्रा में फूस रखें। प्रात:काल कटुआ कीटों को इकट्ठा कर समाप्त करें। 
  • मटर की फसल में पत्तियों, फलियों और तनों पर सफेद चूर्ण की तरह फैले बुकनी रोग की रोकथाम को घुलनशील गंधक 80 फीसदी 2 किग्रा अथवा ट्राईडेमार्फ  80 फीसदी ईसी 500 मिली./हे. लगभग 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

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