Lockdown 4 : कर्नाटक में फंसे मजदूरों का लिस्ट में नाम, फिर भी घर वापसी नहीं कर पा रहे झारखण्ड-पश्चिम बंगाल के मजदूर
कर्नाटक के कड़बा समेत कोइला, उडुपी इलाकों में अभी भी बड़ी संख्या झारखण्ड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के मजदूर फँसे हुए हैं। श्रमिक ट्रेनें चलाये जाने के बावजूद अभी तक इनकी घर वापसी का इंतजाम नहीं हो सका है।
"हम मजदूरों की पूरी लिस्ट बन कर तैयार है, थाने में भी पुलिस के पास है, मगर 20 दिन हो गए, हम लोगों को घर जाने नहीं दिया जा रहा है, जो यूपी-बिहार से मजदूर लोग थे, वे सभी यहाँ से बस-ट्रेन से भेज दिए गए, मगर हम झारखण्ड के मजदूरों के साथ नाइंसाफी क्यों हो रही है," कर्नाटक के मंगलोर जिले के कड़बा तालुक में फँसे झारखण्ड के मजदूर अफताब अंसारी कहते हैं।
कर्नाटक के कड़बा समेत कोइला, उडुपी इलाकों में अभी भी बड़ी संख्या झारखण्ड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के मजदूर फँसे हुए हैं। श्रमिक ट्रेनें चलाये जाने के बावजूद अभी तक इनकी घर वापसी का इंतजाम नहीं हो सका है। जबकि साथ में रह रहे उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूरों की घर वापसी पहले ही की जा चुकी है। ऐसे में देरी होने से ये मजदूर खासा नाराज हैं।
ये मजदूर लगातार कर्नाटक प्रशासन से घर वापसी का इंतजाम करने की मांग कर रहे हैं मगर अब इन्हें कर्नाटक में रहकर एक-एक दिन गुजारना भारी पड़ रहा है। देरी होने से नाराज करीब 400 मजदूरों ने आज (19 मई को) मंगलोर के मिलग्रेस कॉलेज के सामने जमकर विरोध प्रदर्शन भी किया।
"हमारा सेठ पहले हम लोगों को खाना और थोड़ा बहुत पैसा भी दे रहा था, मगर अब जब ट्रेनें शुरू हो गयी हैं तो हम लोगों की कोई मदद नहीं कर रहा है, अब न हम लोगों के पास पैसा है न खाने के लिए कुछ है, हम लोग भूखे-प्यासे कैसे रह रहे हैं, हम लोग ही जानते हैं," कड़बा में ही फँसे एक और मजदूर अख्तर अंसारी कहते हैं।
अख्तर बताते हैं, "हम लोगों का पूरा लिस्ट तैयार हो गया है, घर वापसी के लिए रजिस्ट्रेशन भी कराया है, मेडिकल चेकअप भी हो चुका है तो फिर हम लोगों को घर जाने के लिए ट्रेनें क्यों नहीं दी जा रही हैं, बार-बार पुलिस हमसे कहती है कि आज नहीं कल, कल नहीं आपका परसों हो जाएगा, मगर कल-कल करते-करते 20 दिन हो गए हैं।"
अफताब के मुताबिक, सिर्फ कर्नाटक के कड़बा इलाके में ही झारखण्ड के 160 से ज्यादा लोग फंसे हैं। जबकि पूरे कर्नाटक में करीब फँसे हुए मजदूरों की संख्या अभी भी 5000 के करीब होगी। इनमें पश्चिम बंगाल और ओडिशा के मजदूर भी बड़ी संख्या में शामिल हैं।
वहीं कर्नाटक के कोइला में फँसे पश्चिम बंगाल के मजदूर टीटू बताते हैं, "हम लोग घर जाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराये, मगर ट्रेन के बारे में हम लोगों को बताया ही नहीं जाता है, यहाँ लॉकडाउन में दो हज़ार किलोमीटर फंसे हुए हैं। कम से कम प्रशासन बताए तो सही कब ट्रेन चलेगी।"
इससे पहले भी घर वापसी के लिए इन मजदूरों ने पैदल निकलने की भी तैयारी की मगर सड़क पर इन्हें पुलिस की लाठियां खानी पड़ीं।
कर्नाटक के कोइला में फँसे झारखण्ड के मजदूर देवेन सोरेन बताते हैं, "हम मजदूर लोगों के लिए जब कोई इंतजाम प्रशासन की ओर से नहीं किया गया तो हम लोग मंगलोर स्टेशन जाने के लिए सड़क पर पैदल ही निकले, मगर पुलिस ने हम पर लाठियां चलायीं और हमारे आधार कार्ड भी छीने।"
"उस वक़्त पुलिस ने हम सबको दो-तीन दिन में घर वापसी की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया, मगर इतने दिन हो गए हैं, अभी भी पुलिस आज-कल, आज-कल कर रही है और हम लोगों को जाने नहीं दिया जा रहा है," देवेन बताते हैं।
ऐसे में घर वापसी की मांग को लेकर एक बार फिर इन मजदूरों ने आज (19 मई को) मंगलोर के मिलग्रेस कॉलेज के सामने प्रदर्शन किया। हालाँकि प्रदर्शन बढ़ने पर पुलिस आयुक्त डॉ. पीएस हर्ष मजदूरों के सामने आये और उन्होंने जल्द ही मजदूरों को घर वापस भेजने के लिए इंतजाम करने का आश्वासन दिया।
प्रदर्शन में शामिल झारखण्ड के एक और मजदूर मुख़्तार अंसारी बताते हैं, "पुलिस ने हम लोगों को बताया है कि बारिश की वजह से रेलवे पटरी में मिट्टी धंस गयी है, इसलिए ट्रेन चलने में कुछ देर सामने आ रही है। पुलिस ने हम लोगों को आश्वासन दिया है कि दो-तीन दिन में ट्रेन की व्यवस्था की जाएगी और हम लोगों को घर भिजवाया जायेगा।"
दूसरी ओर कर्नाटक में लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के राशन-पानी के साथ-साथ उनकी घर वापसी को लेकर सक्रिय रूप से मदद कर रहीं सिटीजन फोरम फॉर मंगलोर डेवलपमेंट की संयोजक विद्या दिनकर 'गाँव कनेक्शन' से बताती हैं, "असल में ये सभी दक्षिण कन्नड़ में फँसे हैं जो कर्नाटक का बाहरी हिस्सा लगता हैं। जिला प्रशासन की ओर से उडुपी जिले से इनके लिए ट्रेन चलाने की बात कही गयी थी, मगर वो ट्रेन नहीं चली। प्रशासन को बाहर फँसे इन मजदूरों के लिए भी मंगलोर स्टेशन से ही व्यवस्था करनी चाहिए थी।"
विद्या बताती हैं, "अब तक पांच ट्रेनें मंगलोर से झारखण्ड के लिए चलायी जा चुकी हैं, मगर बाहरी इलाकों में फँसे ये मजदूर रह गए। ऐसा इसलिए है क्योंकि जिला प्रशासन में ही आपस में तालमेल नहीं है। और मजदूरों की तरह बाहर फँसे इन मजदूरों ने भी एप्प के जरिये घर वापसी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था, मगर अब यह यहाँ फँसे हैं। जिला प्रशासन को जल्द ही इन मजदूरों के लिए ट्रेन की व्यवस्था करनी चाहिए।"