डॉक्टरों को एक साल में ही बना दिया प्रोफेसर

Update: 2016-07-24 05:30 GMT
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लखनऊ। देश के लोकप्रिय चिकित्सा संस्थानों में से एक केजीएमयू में डॉक्टर अब प्रोफेसर बनकर बच्चों को मेडिकल का ज्ञान बांट रहे हैं। इन डॉक्टरों को न तो कार्रवाई का डर है न एमसीआई नियमों की कोई परवाह। नियमों की परवाह न करते हुए केजीएमयू ने डॉक्टरों को वक्त से पहले ही प्रोफेसर बना दिया है। केजीएमयू में फर्जी प्रोफेसर की भीड़ जमा है। एमसीआई ने इस मामले को अपने संज्ञान में लेते हुए 2009 में ही रजिस्टार को पत्र लिखा था फिर भी उसकी परवाह किए बगैर इन डॉक्टरों को प्रोफेसर बना दिया गया।

पत्र के माध्यम से ज्वांइट सेक्रेटरी डॉक्टर पी प्रसत्रराज ने कहा कि असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर से प्रोफेसर बनाने के लिए एमसीआई के क्वालिफिकेशन फॉर टीचर्स इन मेडिकल इंस्टीट्यूट रेगुलेशन-1998 का पालन किया जाए। इन डॉक्टरों में बायोकेमेस्ट्री विभाग के डॉ. एए मेहंदी, पल्मोनरी मेडिसिन के डॉ. सूर्यकान्त, नेत्र रोग विभाग के डॉक्टर अपजीत कौर, रेडियोथैरेपी विभाग के एमएल भटट, पीडियाट्रिक विभाग की डॉ. माला, कुमार पैथोलाजी विभाग की डॉ. सुरेश बाबू और फिजियोलाजी विभाग की डॉ. नीना श्रीवास्तव, डॉ. श्रद्धा सिंह और नरसिंह वर्मा भी शामिल हैं। जिनको नियुक्ति के मात्र एक साल के भीतर ही प्रोफेसर बना दिया गया है।

इन प्रमोशन से एमसीआई के नियमों का उल्लंघन किया गया है। इसके अर्न्तगत एसोसिएट प्रोफेसर बनने के लिए कम से कम सम्बंधित विभाग में चार साल तक एसोसिएटस प्रोफेसर के पद पर शैक्षिक अनुभव अनिर्वाय है।

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