“सेना के जवानों के पास काम कम है क्या जो इनसे पुल बनवाया जा रहा है”

Update: 2017-11-28 16:35 GMT
सोमवार को अपनी यात्रा के दाैरान सेना के जवानों से बात करते रेल मंत्री पीयूष गोयल। 

मुबंई। रेल मंत्री पीयूष गोयल सोमवार को एलफिंस्टन रोड स्टेशन का जायजा लिया। इसके बाद उन्होंने परेल से करी रोड़ स्टेशन तक लोकल ट्रेन में सफर भी किया। उनके साथ रेलवे के कई वरिष्ठ अधिकरी भी माैजूद रहे। इस यात्रा की कुछ फोटो उन्होंने अपने ट्विटर और फेसबुक पेज पर शेयर किया। लेकिन अपने पोस्ट में उन्होंने कुछ ऐसा लिख दिया कि उनके ट्वीट पर उनके फॉवलर्स ने सवालों की झड़ी लगा दी।

सोमवार को अपनी यात्रा के दाैरान सेना के जवानों से बात करते रेल मंत्री पीयूष गोयल। 

एलफिंस्टन रोड स्टेशन वही स्टेशन है जहां 29 सितंबर को भगदड़ मचने से 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। जबकि 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। हादसे के बाद रेलमंत्री पीयूष गोयल ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए थे। हादसे के बाद रेल मंत्रालय ने एलफिंस्टन रोड स्टेशन पर ओवरब्रिज बनाने का आदेश दिया था। ब्रिज का काम भी शुरू हो गया है। इसी काम का जायजा लेने सोमवार को केंद्रीय रेलवे मंत्री पीयूष गोयल पहुंचे थे। उन्होंने इसकी फोटो शेयर की और लिखा कि सेना के अथक प्रयासों से फुटओवर का काम तेजी से किया जा रहा है।

िंस्टन रोड स्टेशन पर ब्रिज का काम करते सेना के ज

ट्विटर यूजर्स को इसी बात से आपत्ति है। लोग सवाल पूछ रहे हैं कि सेना को इस काम में क्यों लगाया गया है। क्या रेलवे के पास कर्मचारी नहीं हैं। सेना तो देश की सेवा के लिए है। आप भी देखिए कैसे यूजर्स ने रेल मंत्री को घेरा

कुछ लोगों ने तो ये भी कह कि जब पुल सेना के जवान बना रहे हैं तो उसका उद्घाटन भी सेना के किसी बड़े अधिकारी से करवाया जाए, न कि किसी नेता या मंत्री से।

ये पहला माैका नहीं है जब इस पुल का निर्माण सेना द्वारा कराए जाने पर सवाल उठ रहा है। जब इसकी घोषणा हुयी थी तो उसी समय देशभर के नेताओं ने इसका विरोध किया था।

तब फुटओवर ब्रिज बनाने में आर्मी की मदद लेने के मामले में महाराष्ट्र सरकार को विपक्ष ने निशाने पर लिया था। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला और कांग्रेस के नेता संजय निरुपम ने राज्य सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई थी और इसका विरोध भी किया था।

एलफिंस्टन रोड स्टेशन का पुराना ब्रिज।

विरोध के कुछ पुराने टि्वटस

पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री और पूर्व आर्मी मैन कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि "आर्मी का काम युद्ध की लिए सैनिकों को तैयार करना है। बेहतर यही है कि सैनिकों को आम नागरिकों के कामों से दूर रखा जाए। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने रक्षा मंत्री से भी अनुरोध किया था कि वो रक्षा मंत्रालय के संसाधनों का इस्तेमाल सिविलियन वर्क के लिए न करें।

इस मामले पर केंद्रीय सुरक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था "ये पहली बार हुआ जब इस तरह से सेना की मदद ले रहे हैं। अन्यथा ये सिविल वर्क ही है। ये मामला बड़ा है, और जल्द ही ओवरब्रिज का निर्माण करना था, इसलिए हम सेना की मदद ले रहे हैं।

वहीं कुछ लोगों रेल मंत्री की तारीफ की। लोगों ने कहा कि रेल मंत्री से अन्य मंत्रियों को सीख लेनी चाहिए। गौरतलब है कि सैन्य इंजीनियरिंग सेवा (एमईएस) भारत में सबसे बड़ी निर्माण एजेंसियों में से एक है। एमईएस और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) पर भारत की बेहद शानदार सडकों के निर्माण और रखरखाव की जिम्मेदारी है।

कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा भारतीय रेलवे

नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2012 से हर 10 में से 6 ट्रेन हादसे कर्मचारियों की कमी के कारण हुए हैं। ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि जब रेलवे के पास कर्मचारी ही नहीं होंगे तो विभाग जरूरी काम के लिए किससे मदद लेगा। इंडियन रेवले के आंकड़ों अनुसार 31 मार्च 2017 तक हुए कुल 104 रेल हादसों में से 66 कर्मचारियों की कमी के कारण हुए हैं। रेलवे में जिन कर्मचारियों की कमी है उनमें सुरक्षा संबंधी पद सबसे ज्यादा हैं।

सुरक्षा विभाग में 16 प्रतिशत यानी 124201 स्टाफ की कमी है। भारत में लगातार हो रहे रेल हादसों के पीछे ये सबसे बड़ा कारण है। जबकि कर्मचारियों की कमी की बात करेंगे तो ये लगभग दो लाख है। इनमें से इनमें से करीब 70 हजार पद (ऑल इंडिया रेलवेमेन फेडरेशन के अनुसार) तो सिर्फ ट्रैक मेन्टेनेंस करने वालों के हैं।

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