राम मंदिर पर मोदी सरकार का बड़ा कदम, सुप्रीम कोर्ट से गैर विवादित जमीन की मांग

Update: 2019-01-29 05:26 GMT

लखनऊ। राम मंदिर विवाद को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि अयोध्या में जो विवादित स्थल पर हिंदू पक्षकारों को जमीन दी गयी है, उसे राम जन्मभूमि न्यास को सौंप दिया जाए, अब गैर विवादित जमीन को भारत सरकार को दे दिया जाना चाहिए। हालांकि मंगलवार को ही इस मामले की सुनवाई भी होनी थी लेकिन जस्टिस बोबडे की छुट्टी पर जाने की वजह से सुनवाई टाल दी गयी है।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि अयोध्या में विवादस्पद राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद स्थल के पास अधिग्रहण की गयी 67 एकड़ जमीन को उसके मूल मालिक (राम जन्मभूमि न्यास) को लौटाने का आदेश दे। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार साथ ही मोदी सरकार ने कहा कि बाकि का 2.77 एकड़ भूमि जमीन का कुछ हिस्सा भारत सरकार को लौटा दिया जाए।

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गौरतलब है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद के आसपास की करीब 70 एकड़ जमीन केंद्र सरकार के पास है। इसमें से 2.77 एकड़ की जमीन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था। जिस भूमि पर विवाद है वह जमीन 0.313 एकड़ ही है। केंद्र सरकार का कहना है कि इस जमीन को छोड़कर बाकी जमीन भारत सरकार को सौंप दी जाए।

30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अयोध्या विवाद को लेकर फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांट दिया था। जिस जमीन पर रामलला विराजमान हैं उसे हिंदू महासभा, दूसरे हिस्से को निर्मोही अखाड़े और तीसरे हिस्से को सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया गया था।

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