ये हैं वो लोक गीत जिनके बिना है छठ पूजा अधूरी

Update: 2017-10-24 11:03 GMT
प्रतीकात्मक तस्वीर।

लखनऊ। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाने वाले पर्व छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है। भगवान भास्कर और छठी मैय्या के लिए किया जाने वाला ये चार दिवसीय त्योहार उत्तर भारत के एक बड़े जनसमूह के लिए भारी महत्व रखता है। छठ पूजा में संगीत का भी बड़ा महत्व है। कुछ ऐसे गाने भी हैं जो सिर्फ छठ पूजा में ही सुनने को मिलते है या फिर कह लीजिए इन गानों के बिना छठ पूजा अधूरी है। इन गानों में श्रद्धा भक्ति के साथ-साथ पूजा के तरीकों के बारे में भी बताया गया है। बताते हैं आपको वो गाने जिनके बिना है छठ पूजा अधूरी...

छठ माई के महिमा

ये गाने के बोल है

छठि माई के घटवा पर आजन-बाजन बाजा बजवाइब हो.

गोदिया में होइहें बलकवा, त अरघ देबे आईब हो

इस गाने को गाया है भोजपुरी गायक पवन सिंह ने। इस गाने में बताया गया है कि कुछ महिलाएं छठ करने के लिए घाट पर जा रही हैं। इस वीडियो में वे सारी महिलाएं हैं जिनके बेटे हैं लेकिन एक दंपति ऐसा भी है जिनके बेटा नहीं है। गाने में महिला कहती है कि वो भी पूरे गाजे-बाजे के साथ छठ पूजा करेगी और उसे जब बच्चा होगा तो वो अर्घ्य देने के लिए छठ घाट पर आएगी।

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कबहूं ना छूटी छठ

इस गाने के बोल हैं

कबहूं ना छूटी छठ मइया, हमनी से वरत तोहार

तोहरे भरोसा हमनी के, छूटी नाहीं छठ के त्योहार

इस गाने को बॉलीवुड की मशहूर प्लेबैक सिंगर अलका याज्ञनिक ने गाया है। इस वीडियो में दिखाया गया है कि बिहार की लड़की की शादी पंजाब के एक परिवार से होती है। पंजाबी परिवार भले ही छठ नहीं करता है, लेकिन बहू बिहार की है, तो उसे छठ करने के लिए परिवार के लोग पूरी तैयारी करते हैं। गाने में भरोसा दिलाया गया है कि परिवार चाहे कहीं भी रहे, वो छठ करता रहेगा।

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गूंजेला गीत छठि माई

इस गाने के बोल हैं

चाहे समंदर या तलवा तलैया, हर घाटे होखे ला छठ के पूजैया

गउवां चाहे देख कौनौ शहर, जयकारा ठहरे -ठहर मइया जी राउर सगरो

इस गाने को भी पवन सिंह ने गाया है। गाने में बताया गया है कि छठ करने वालों को चाहे समंदर मिले, कोई छोटी सी नदी मिले, कोई ताल हो या फिर पानी का छोटा सा भी स्रोत, हर जगह छठ करने वाले लोग अर्घ्य देते हैं। छठ को मां माना गया है, इस लिहाज से उनका जयकारा हर जगह और हर शहर में लगाया जा रहा है।

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बेरी -बेरी बिनई अदित देव

गाने के बोल हैं

बेरी-बेरी बिनई अदित देव, मनवा में आह लाई

आजु लेके पहली अरघिया, त कालु भोरे जल्दी आईं

इस गाने को गाया है भोजपुरी गायिका अंजना राज ने। गाने में एक महिला सूर्य से प्रार्थना कर रही है। उसकी नई-नई शादी हुई है, वो कह रही है कि जल्द ही सूर्यास्त हो सके, जिससे कि वो अपना पहला अर्घ्य देकर अपने घर जा सके। ऐसा इसलिए है कि उसे अगले दिन भी सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के लिए छठ घाट पर आना है।

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केरवा जे फरे ला घवद से

इस गाने के बोल हैं

केरवा से फरे ला घवद से, ओहपर सुगा मेडराय

मारबो रे सुगवा धनुष से, सुगा गिरे मुरुझाय

इस गाने को गाया है भोजपुरी गायिका कल्पना पटवारी ने। गाने के बोल तो पुराने हैं, लेकिन इस वीडियो नया आया है। इस वीडियो में एक मुस्लिम महिला छठ पूजा कर रही है। इस गाने को खूब पसंद किया जा रहा है।

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