कई राज्यों में पाले से बर्बाद हुईं फसलें, अगले कुछ दिनों तक रहेगा पाले का असर

Update: 2018-12-29 10:39 GMT

लखनऊ। तापमान में हो रही भारी गिरावट से ठंड और कोहरे से आलू, मटर, चने जैसी फसलों को काफी नुकसान हुआ है, एमपी के रतलाम जिले में शुक्रवार रात पाला पड़ने से मटर और चने की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई।

मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के रिंगनिया गाँव के अरविंद पाटीदार की मटर और चने की फसल बर्बाद हो गई। वो बताते हैं, "इस बार मैंने दस बीघा में मटर और पांच बीघा में चने की फसल बोई थी, जोकि देर रात पाले से बर्बाद हो गई। ये फसलें 60-70 फीसदी तक बर्बाद हो गईं। पाले से काफी नुकसान हो गया है, गेहूं की फसल में तो अभी नहीं दिख रहा है, लेकिन चना और मटर में नुकसान हो गया है।


मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान जैसे कई राज्यों में पाले से फसलों को नुकसान हुआ है। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद से ने यूपी के कई जिलों में घने कोहरे और पाला पड़ने की संभावना जारी की है। अगर ऐसे ही पारा गिरता रहा तो इसको सबसे ज्यादा असर रबी सीजन की दलहनी फसलों के साथ ही आलू पर पड़ेगा। तापमान कम होने से मटर, चना और आलू की फसलों पर पाला रोग का खतरा मंडराने लगा है।

कृषि विज्ञान केंद्र, रतलाम के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सर्वेश त्रिपाठी किसानों को सलाह देते हैं, "पाले का असर सबसे ज्यादा आलू और दलहनी फसलों पर पड़ता है। इसका प्रभाव रात 12 बजे से 02 बजे तक ज्यादा होता है, उसी समय फसलों को भी नुकसान होता है। उस फसल के आस-पास धुआं करें। ये ध्यान दे कि जिस तरफ से हवा चल रही हो, उसी तरफ से धुआं करें। धुआं करने से पांच-छह सेंटीग्रेट तक तापमान बढ़ जाता है। इसके साथ ही सल्फर का छिड़काव करके भी पाले से फसल को बचाया जा सकता है।"

वो आगे बताते हैं, "अभी दो-तीन दिन तक पाले का प्रभाव रहेगा, इसलिए ये उपाय अपनाकर फसल को पाले से बचाया जा सकता है।"



ऐसे करें शीत लहर और पाले से फसलों की सुरक्षा

हल्की सिंचाई कर बचा सकते हैं

फसल जब भी पाला पड़ने की सम्भावना हो या मौसम पूर्वानुमान विभाग से पाले की चेतावनी दी गई हो तो फसल में हल्की सिंचाई दे देनी चाहिए। जिससे तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है सिंचाई करने से 0.5-2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान मे बढ़ोतरी हो जाती हैं।

नर्सरी को ढ़कें प्लास्टिक चादर से

सबसे अधिक नुकसान नर्सरी में होता है। नर्सरी में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढ़कने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अन्दर का तापमान 2.3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है। जिससे सतह का तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता और पौधे पाले से बच जाते हैं। पॉलिथीन की जगह पर पुआल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। पौधों को ढकते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि पौधों का दक्षिण पूर्वी भाग खुला रहे, ताकि पौधों को सुबह व दोपहर को धूप मिलती रहे।

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