पारंपरिक खेती से हटकर मोती की खेती से बनाई अलग पहचान
उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के श्वेतांक ने मोती की खेती में अपनी अलग पहचान बनाकर एक अलग मुकाम हासिल किया है। यही वजह है कि हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी मोती की खेती करने को लेकर श्वेतांक की सराहना की।
वाराणसी (उत्तर प्रदेश)। इन दिनों देश के कई युवा कृषि क्षेत्र में पारंपरिक खेती से हटकर आधुनिक खेती में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। इनमें एक युवा श्वेतांक पाठक भी हैं जो पारंपरिक खेती की बजाए मोती की खेती के जरिये अपनी अलग पहचान बनाने में सफल रहे हैं।
श्वेतांक उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में चौबेपुर से करीब 25 किलोमीटर दूर गंगा किनारे बसे नारायणपुर गाँव के रहने वाले हैं। वैसे श्वेतांक बीएड की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं मगर उन्होंने शिक्षक बनने की बजाये गाँव में मोती की खेती में हाथ आजमाया।
इस खेती के जरिये श्वेतांक ने गाँव में लोगों को रोजगार भी दिया। यही कारण है कि और किसानों से इतर मोती की खेती को अपनाने वाले श्वेतांक की पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी तारीफ की।
'गाँव कनेक्शन' से बातचीत में श्वेतांक बताते हैं, "करीब डेढ़ साल पहले मैंने सबसे पहले अपने गाँव में बनी उदय देव समिति कृषि उद्यम के जरिये मोती की खेती के बारे में जाना। तब मोती की खेती को लेकर मेरी रूचि बढ़ी, इन्टरनेट के जरिये भी मैंने मोती की खेती के बारे में जानकारी इकट्ठा की।"
"और फिर समिति के मार्गदर्शन में मैंने मोती की खेती करनी शुरू की। मैंने अपने घर के पास ही एक छोटा सा कृत्रिम पोखर तैयार किया और नदी से लाए गए सीप को यहाँ रखते। इसके साथ ही एक पुरातन तालाब भी है जिसमें सीप जिंदा रखते हैं और मोती उपजाते हैं," श्वेतांक बताते हैं, "अभी मैं कल्चर्ड मोती की खेती करता हूँ, जिसको तैयार होने में 12 से 13 महीने का समय लगता है और तैयार मोती को पालिश करके बाजार तक पहुंचा दिया जाता है।"
श्वेतांक के मुताबिक, मोती तीन प्रकार से तैयार किये जाते हैं, इनमें आर्टिफीसियल मोती, प्राकृतिक मोती जो समुद्र में स्वयं बनते हैं और तीसरा कल्चर्ड मोती होता है जिससे आप कोई भी डिजाइन का मोती बना सकते हैं। इस समय श्वेतांक कल्चर्ड मोती की ही खेती कर रहे हैं।
किसी डिजाइन का मोती तैयार करने के लिए मोती के कवच यानी शीप का पाउडर बनाकर न्यूकिलियस तैयार किया जाता है, जो नए मोती के कवच में डाला जाता है। एक निश्चित समय बाद उस शीप में उस डिजाइन में मोती बनकर तैयार हो जाता है। श्वेतांक ने मोती की खेती को लेकर ओडिशा में एक प्रतिष्ठित संस्थान से प्रशिक्षण भी लिया है।
मोती की खेती के बारे में श्वेतांक बताते हैं, "मोती की खेती आप कम रुपए में भी शुरू कर सकते हैं। अगर आपके पास 10 बाई 12 की जमीन उपलब्ध है तो आप 50 से 60 हजार रुपए की लागत से इस खेती को शुरू कर सकते हैं। बस आपको शीप यानी मोती के कवच की अच्छी पहचान होनी चाहिए। जैसे एक अच्छी शीप का वजन कम से कम 35 ग्राम, लम्बाई 6 सेंटीमीटर से ज्यादा और उसकी उम्र 2 साल तक होनी चाहिए। इसका अगर आप ध्यान देते हैं तो आप मोती की खेती अच्छी तरह से कर सकते हैं।"
श्वेतांक पाठक कहते हैं, "हमारे मोती कीमत 90 रुपए से 200 रुपए तक बाजारों में बिक जाते हैं और अच्छी कमाई भी हो जाती है। इसके अलावा जो मल्लाह नदी में नाव चलाते हैं वो हमारे लिए नदी से शीप निकालते हैं तो उनको भी अच्छा मुनाफा हो जाता है।"
हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी के श्वेतांक द्वारा मोती की खेती करने और खुद से आत्मनिर्भर बनने को लेकर ट्वीट कर उनकी सराहना भी की। उन्होंने लिखा कि गाँव में मोती की खेती करने वाले युवा ने हर किसी के लिए मिसाल पेश की है।
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