भारत में पहली बार दिव्यांग को मिला ड्राइविंग लाइसेंस

Update: 2017-05-10 14:16 GMT
अन्नप्रगदा मणिकांत।

हैदराबाद। भारत में पहली बार एक दिव्यांग को गाड़ी चलाने का अधिकार प्राप्त हुआ है। नवंबर 2016 में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सभी राज्यों को निर्देश दिए थे कि वे बधिर लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस जारी करे। इसके छह महीने के बाद हैदराबाद के ग्राफिक डिजाइनर अन्नप्रगदा मणिकांत को पहली बार इस नियम के तहत ड्राइविंग लाइसेंस मिल गया है।

दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मामले का अध्ययन किया और इस मामले में राज्यों से राय ली। इसके बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की राय जानने के लिए एक पत्र भेजा। एम्स ने कहा कि यदि व्यक्ति की नजर अच्छी है और वह स्वस्थ है, तो बधिर होना ड्राइविंग के लिए एक समस्या नहीं है।

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मंत्रालय ने 28 अक्टूबर 2016 को सभी राज्य सरकारों को इस मामले में सर्कुलर भेजा। अध्ययन के बाद तेलंगाना सरकार ने 29 अप्रैल 2017 को सभी आरटीओ, डीटीओ और जेटीसी को बधिर लोगों को लाइसेंस देने के लिए सर्कुलर जारी कर दिया।

मोती नगर के रहने वाले बधिर अन्नप्रगदा मणिकांत ने खैरताबाद आरटीए अधिकारियों से संपर्क किया और चार दिन पहले ही लर्निंग लाइसेंस हासिल कर लिया। इसके बाद में उन्होंने एक पर्मामेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया। फिर उन्होंने ड्राइविंग टेस्ट पूरा कर लिया और आरटीए स्टाफ ने उनकी अच्छी ड्राइविंग के लिए मणिकांत की सराहना की।

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