इज़राइल की तकनीक से करेंगे झारखंड के किसान खेती, कम लागत में होगी ज्यादा उपज

झारखण्ड राज्य की सरकार अपने राज्य के किसानों को कृषि में तकनीक का प्रयोग कर लागत कम करने के उद्देश्य से इज़राइल भेज रही है। इससे पहले यही उद्देश्य लेकर गुजरात सरकार ने भी अपने राज्य के किसानों को प्रशिक्षण के लिए इज़राइल भेजा था।

Update: 2018-10-29 08:36 GMT
साभार: इंटरनेट

रांची। एक बार फिर भारत के झारखण्ड राज्य की सरकार अपने राज्य के किसानों को कृषि में तकनीक का प्रयोग कर लागत कम करने के उद्देश्य से इज़राइल भेज रही है। इससे पहले यही उद्देश्य लेकर गुजरात सरकार ने भी अपने राज्य के किसानों को प्रशिक्षण के लिए इज़राइल भेजा था। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इज़राइल जाने वाले किसानों और अधिकारियों के प्रतिनिधि मण्डल से कांके रोड पर स्थित आवास पर मुलाकात की।

रघुवर दास ने कहा, "कृषि में लगातार लागत बढ़ रही है। जिसके कारण किसानों को उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। इसलिए कृषि में केवल तकनीक के इस्तेमाल से लागत कम करने के साथ ही उपज बढ़ायी जा सकती है।" इज़राइल जाने वाली टीम का नेतृत्व दुमका के उपायुक्त मुकेश कुमार करेंगे।

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झारखण्ड के अन्य किसानों को करेंगे प्रशिक्षित

रघुवर दास ने इज़राइल जाने वाले किसानों के दूसरे जत्थे में शामिल 21 किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि "झारखंड सरकार किसानों की इन्ही समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उन्हे नयी तकनीक व आधुनिक खेती की जानकारी के लिए इस्राइल भेज रही है।" ये किसान वहां से खेती की नई तकनीक सीख कर झारखंड के किसानों को भी प्रशक्षिति करेंगे।

उन्होने आगे कहा, "पारंपरिक आधार पर खेती करके किसानों की आय में बढ़ावा नहीं किया जा सकता, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का भी लक्ष्य रखा है। केवल पारंपरिक खेती से यह संभव नहीं है।" कृषि के साथ साथ बागवानी, दुग्ध उत्पादन, मत्स्य पालन, फल-सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देना जरूरी है। झारखंड में सब्जी का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है। मुख्यमंत्री ने किसानों को को-ऑपरेटिव बनाने के सुझाव दिए। उन्होंने कहा, "राज्य में बड़ी संख्या में 30 मैट्रिक टन क्षमता के कोल्ड स्टोरेज बन रहे हैं। इनके संचालन का काम भी किसानों की को-ऑपरेटिव को दिया जायेगा।"

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रघुवर दास ने बताया, "किसानों की बिजली की समस्या के समाधान के लिए सरकार कृषि के लिए अलग फीडर बना रही है। यह फीडर मार्च 2019 तक तैयार हो जाएगा। इससे किसानों को खेती के लिए प्रतिदिन छह घंटे बिजली मिलेगी। इसके अलावा उद्योग और सामान्य उपभोक्ता को भी अलग-अलग फीडर से बिजल दी जाएगी।"

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रांची के वन एवं पर्यावरण विभाग ने शहर के लोगों को अपने घरों, बागानों या किसी भी सामाजिक स्थल पर छांव या फल और फूलदार पेड़ लगाने के लिए अपील की ताकि रांची को फिर से हरा-भरा बनाया जा सके। यह कदम पर्यावरण विभाग द्वारा रांची में फैल रहे कांक्रीट के संकट का सामना करने और पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए उठाया गया है। इस काम के लिए रांची वन मंडल की ओर से केवल पांच रुपये में एक फलदार पौधा दिया जा रहा है। राजधानी में लगभग एक लाख 60 हज़ार पौधे लागाने के लिए दिये जाएंगे।   

साभार: एजेंसी 

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