FathersDay : आदिवासी पिता ने महुआ बेचकर बेटे को बनाया अफसर 

Update: 2017-06-18 11:33 GMT
घर के बाहर महुआ साफ करते बैसूराम लेकाम।

दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ के नक्सली बाहुल्य क्षेत्र दंतेवाड़ा के आदिवासी बैसूराम लेकाम ने अपने बच्चों की जिंदगी संवारने में अपनी खुशियां त्याग दी। मजदूरी और वनोपज संग्रहण कर बच्चों को शिक्षित किया और एक बेटे को लेखा अधिकारी बना दिया। आज पिता को इस बात का सुकुन है कि उसकी इच्छा को पूरी करने में बेटे ने कोई कसर नहीं छोड़ी। बैसूराम का उसका बेटा रायपुर मुख्यालय में लेखा अधिकारी की ट्रेनिंग ले रहा है।

छत्तीसगढ़ जिले के गीदम ब्लॉक के छोटे से गाँव जोड़ातराई के तुलसीराम लेकाम ने 2016 में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की और लेखाधिकारी के पद के लिए चयन हुआ। अभी वह रायपुर में प्रशिक्षण ले रहे हैं। उसे इस मुकाम तक पहुंचाने में तुलसीराम की मेहनत के साथ उसके पिता बैसूराम लेकामी का संघर्ष अधिक है।

महुआ बेचकर बच्चों को किया शिक्षित

कम खेती और छह बच्चों के पिता ने कभी स्कूल नहीं देखा था। लेकिन बच्चों को काबिल बनाना चाहता था। बड़ा परिवार होने से एक व्यक्ति की कमाई कम पड़ने लगी तो उसने बच्चों को पढ़ाने के लिए अधिक मजदूरी और वनोपज संग्रहण शुरु कर दिया। जंगल से संग्रहित महुआ-टोरा बाजार में बेचकर बच्चों को शिक्षित किया।

सभी बच्चे हैं शिक्षित

एक बेटा नगर सैनिक बना तो पढ़ाई में होशियार छोटे बेटे तुलसी का चयन मॉडल स्कूल में हो गया। उसने पढ़ाई में दिलचस्पी दिखाई और पिता के सपने को साकार करने में जुट गया। इस पिता ने बेटे से एक ही बात हर बार कही, कि अफसर बनना है। पिता के कहे गए शब्दों को तुलसीराम ने साकार कर दिखाया।

नहीं लेते हैं बेटे से पैसे

बैसूराम बताते हैं, "बच्चों की खुशी के लिए सब किया। मेरे छोटे बेटे ने मेरा सपना पूरा कर दिया। वह बड़ा अधिकारी बना है। बेटा अब पैसा देता है, लेकिन मैं नहीं लेता हूं।"

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