UP Flood: 13 जिलों के 382 गांव बाढ़ की चपेट में, सीएम ने कहा- राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी

उत्तर प्रदेश में बाढ़ का प्रकोप जारी है। फिलहाल 13 जिलों के 382 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। मध्य प्रदेश और राजस्थान से आए पानी के चलते एक समय 30 के करीब जिले बाढ़ की चपेट में आ गए थे। इस वक्त सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका पूर्वांचल है।

Update: 2021-08-25 08:09 GMT

यूपी के सीतापुर जिले के अंगरौरा गांव में पानी के बीच से निकलता ग्रामीण। फोटो- अरविंद शुक्ला

लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश में गंगा और घाघरा समेत कई नदियां तटीय इलाकों में भारी नुकसान कर रही हैं। यूपी सरकार के मुताबिक फिलहाल 13 जिलों के 382 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। जबकि कुल 41 जिलों में बाढ़ से निपटने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ समेत पीएसी की 58 से ज्यादा टीमों को तैनात किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य जारी रखने के निर्देश दिए हैं।

मंगलवार को लखनऊ में बाढ़ और राहत कार्यों की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, "घबरने की नहीं है बात, प्रदेश सरकार है आपके साथ। राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी हैं।"

इस दौरान मुख्यमंत्री योगी ने अधिकारियों से कहा, "बाढ़ और अधिक बारिश से प्रभावित इलाकों में राहत कार्यों में देरी नहीं होनी चाहिए। पीड़ित परिवारों को तुरंत आवश्यक सहायता मिलनी चाहिए।"

समीक्षा बैठक में बताया गया कि प्रदेश में अब तक 1089 से अधिक बाढ़ राहत शिविर और 1282 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं। 58471 से ज्यादा लोगों को सूखा राशन की किट और 336875 लोगों को लंच पैकेट बांटे गए हैं। इसके अलावा लगभग 3832 नावें और 841 चिकित्सा दल तैनात हैं।

प्रदेश में औरैया, इटावा, जालौन और बुंदेलखंड के हिस्सों में बाढ़ का प्रकोप कम हुआ है लेकिन प्रयागराज से लेकर वाराणसी और पूर्वांचल के दूसरे जिलों में बाढ़ का पानी लोगों की मुश्किलें बढ़ा रहा है। इसके अलावा अवध क्षेत्र में सीतापुर,बाराबंकी, गोंडा, अयोध्या के अलावा घाघरा और राप्ती के तटीय इलाकों के गांव बाढ़ की चपेट में हैं।

गांव कनेक्शन ने यूपी से लेकर एमपी और बिहार तक बाढ़ प्रभावित इलाकों की लगातार ग्राउंड रिपोर्ट करता रहा है। प्रदेश में घाघरा का जलस्तर एक बार फिर बढ़ रहा है।

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41 जिलों में बाढ़ से निपटने के लिए 58 टीमें तैनात

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 13 जिलों के 382 गांव बाढ़ प्रभावित हैं जबकि 41 जिलों में बाढ़ से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), एसडीआरएफ और पीएसी सहित 58 से अधिक टीमों को तैनात किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार बाढ़ से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए पूरी तरह सतर्क है। एनडीआरएफ की 9 टीमों को मिर्जापुर, प्रयागराज, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थ नगर, गोरखपुर, लखनऊ, बलिया और वाराणसी में तैनात किया गया है। जबकि मुरादाबाद, बरेली, बलरामपुर, प्रयागराज, लखनऊ, कुशीनगर, गोरखपुर, अयोध्या, बलिया और वाराणसी में एसडीआरएफ की 10 टीमें तैनात है।

इसी तरह पीएसी की 17 टीमों को 14 जिलों में तैनात किया गया है। इन जिलों में सीतापुर, बहराइच, बलरामपुर, प्रयागराग, कौशांबी, प्रतापगढ़, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, फतेहपुर, रायबरेली, बांदा, इटावा, आगरा, औरैया, आजमगढ़, गोरखपुर, बलिया, बिजनौर, देवरिया, महराजगंज, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, अयोध्या, गोंडा, श्रावस्ती, हरदोई, बाराबंकी, चंदौली, कानपुर देहात, कन्नौज, हमीरपुर, अमरोहा, बुलंदशहर, मेरठ, भदोही, प्रयागराज, अलीगढ, कासगंज और मुजफ्फरनगर शामिल हैं। प्रदेश में बाढ़ प्रभावित इलाकों से एनडीआएरएफ और एसडीआरएफ की टीमों ने 35185 लोगों को सुरक्षित राहत कैंपों तक पहुंचाया है।

प्रभावित लोगों को आर्थिक सहायता

सरकारी बयान के मुताबिक प्रभावित इलाकों में पशुओं की देखभाल और चिकित्सा के लिए 24 घंटे में 6 पशु शिविर लगाए गए हैं। प्रदेश में अबतक 855 पशु शिविर लगा चुकी है। इन शिविरों में 551195 से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है।

बाढ़ में खेत, मकान, फसल के साथ ही पशुओं की भी हानि होती है। ऐसे में सरकार ने आपदा के कारण हुए पशुधन के नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे की व्यवस्थाकी है। राज्य सरकार पशु पालकों को प्रति पशु 30000 रुपए तक मुआवजा देगी।

पशुओं की मौत पर मुआवजा- 3000 रुपए से लेकर 25000 रुपए तक की मदद

सरकारी बयान के मुताबिक गाय-भैंस की हानि (मृत्यु) होने पर प्रति पशु 16000 रुपए प्रति पशु, जबकि गैर दुधारु पशु जैसे ऊंट, घोड़ा या बैल की हानि होने पर 25000 रुपए प्रति पशु दिए जाएंगे। इसके अलावा बकरी, भेड़ या सुअर जैसे छोटे पशु की हानि होने पर पशुमालिक को 3000 रुपये दिए जाएंगे।

बाढ़ के चलते कई जिलों में पशुओं के बह जाने की खबर है तो ज्यादातर जगहों पर चारे का संकट हो गया है। कई जिलों में घरों में रखा सूखा चारा (भूसा) आदि तो पानी में गया ही खेतों में बोए गए हरे चारे का भी नुकसान हुआ है। इसके अलावा बाढ़ में दूषित पानी के चलते पशुओं के बीमार होने का भी खतरा रहता है। बाढ़ और पशुओं से संबंधित खबर यहां पढ़ें

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शिल्पकारों को भी मदद

बाढ़ की आपदा से नुकसान होने पर शिल्पकारों (Craftsman) को भी आर्थिक सहायता मिलेगी। शिल्पकारों का अगर उपकरण बाढ़ में बह जाता है या फिर उसका नुकसान होता है तो सरकार उन्हें नया उपकरण देगी।

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