उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के एक गांव में करीब 70 से ज्यादा लोग डायरिया की चपेट में आ गए हैं। इसकी वजह से गांव के लोगों को उल्टियां और दस्त हो रही है। वहीं, उल्टी की वजह से एक बच्ची की मौत भी हो गई है।
यह मामला बलिया जिले के रसड़ा तहसील के नगपुरा गांव का है। मामले पर जिलाधिकारी भवानी सिंह खंगारोत बताते हैं, ''गांव के करीब 60 से 70 लोग बीमार हैं। जिस बच्ची की मौत हुई है उसके पीछे का कारण यह है कि उसकी श्वास नली में उल्टी के कण फंस गए थे, इस वजह से वो चोक कर गई और अस्पताल पहुंचने से पहले उसकी मौत हो गई। फिलहाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रसड़ा और जिला अस्पताला में मरीजों का इलाज चल रहा है।''
जिलाधिकारी बताते हैं, ''इसमें दो तरह की बात सामने आ रही है। पहला कि दूषित पानी पीने से लोग बीमार हुए हैं। दूसरा यह कि बाढ़ के बाद जो मछलियां मर जाती हैं यह लोग उसे खा रहे थे, जिसकी वजह से इनकी तबीयत खराब हुई है। शुक्रवार को जब लोगों की तबीयत खराब हुई तो उन्हें सीएचसी में भर्ती कराया गया था, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद वो लोग चले गए। कुछ लोग जिला अस्पताल में भी भर्ती है।''
डीएम बताते हैं, ''जो बीमार पड़े हैं उनमें से अधिकांश लोग नगपुरा गांव के राजभर बस्ती के रहने वाले हैं। इनका परंपरा रही है कि यह लोग बाढ़ जाने के बाद मछली खाते हैं, यह मछलियां पहले से मरी होती हैं। यह भी जानकारी मिली है कि पिछले साल भी इस गांव में लोग बीमार पड़े थे।''
डीएम कहते हैं, ''कुछ लोगों का कहना था कि पानी की सप्लाई में गंदा पानी मिलने से लोगों को डायरिया हुआ है। हम उसे भी चेक करा रहे हैं। यह पाइप लाइन ग्राम पंचायत की ओर से ही चलाई जा रही थी। हालांकि उसी पाइप लाइन का पानी दूसरे मोहल्ले के लोग भी पी रहे हैं, लेकिन उसमें से कोई बीमार नहीं हुआ है।''
सीएमओ डॉ. प्रीतम कुमार मिश्रा ने बताया, ''अब तो पीड़ितों की संख्या कम हो गई है। सीएचसी रसड़ा में 2 मरीज भर्ती हैं, जिला अस्पताल पर भी 10 मरीज के करीब हैं। इनकी स्थिति भी सही है। जब हमें जानकारी हुई तो हमने गांव में कैंप लगाया है। गांव में मोबाइल मेडिकल यूनिट लगी हुई है, तीन एम्बुलेंस लगी हुई है। हम एक-एक मरीज को देख रहे हैं।''
प्रीतम कुमार बताते हैं, ''गांव में जब हम गए तो पता चला कि एक पुरानी टंकी है, उसकी पाइप लाइन में कहीं कहीं क्रैक हो गया है। यहीं से दूषित पानी लोगों तक पहुंचा होगा ऐसा अंदेशा लगाया जा रहा है।'' प्रीतम कुमार आगे बताते हैं, ''गांव में गंदगी तो है ही। लोगों के घरों का पानी खुले में बह रहा था। इसकी पीछे यह भी वजह है कि ड्रेनेज की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में हमारी पहली जांच में यही लग रहा है कि दूषित पानी की वजह से लोगों की तबीयत खराब हुई है।''
वर्ष 2018 में आई नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारत इतिहास में जल संकट के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। जबकि हर साल दो लाख लोग साफ पीने का पानी न मिलने से अपनी जान गंवा देते हैं। भारत के 60 करोड़ लोग इस समय इतिहास के सबसे बुरे जल संकट से जूझ रहे हैं। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 70 प्रतिशत पानी दूषित है और पेयजल स्वच्छता गुणांक की 122 देशों की सूची में भारत का स्थान 120वां है।
हाल ही में गाँव कनेक्शन के 19 राज्यों में हुए सर्वे में यह बात सामने आई कि सिर्फ आठ प्रतिशत ग्रामीणों को पाइप लाइन से पेयजल की सप्लाई होती है। जबकि 35 फीसदी महिलाओं को पानी के लिए हर रोज आधा किमी की दूरी तय करनी पड़ती है।