मध्य प्रदेश: घरों में शुरू हुई सरकारी स्कूल के बच्चों की पढ़ाई, शिक्षक और अभिभावक कर रहे मदद

इस अभियान के तहत गांव के चुनिंदा घरों में शाला (स्कूल) का चयन किया जा रहा है। इसमें जिस घर में शाला का संचालन किया जाएगा। वहां पर आसपास के कुछ बच्चे एकत्रित होंगे जो कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेंगे। साथ ही मास्क पहनकर ही पढ़ाई करेंगे।

Update: 2020-07-07 04:52 GMT
कागदीपुरा गाँव की महिला सरपंच गीताबाई परमार ने अपने घर पर शुरू की बच्चों की क्लास

भोपाल (मध्य प्रदेश)। प्रदेश में सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो इसलिए अब गाँव के कई घरों में बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था की गई है। मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदेश सरकार द्वारा पहली कक्षा से 8वीं तक के बच्चों की पढ़ाई के लिए 'हमारा घर, हमारा विद्यालय' अभियान की शुरुआत की गई है।

इसके तहत 6 जुलाई से कोविड-19 की नई परिस्थितियों में कुछ स्थानों पर अभियान बेहतर ढंग से चलाया गया। इन सबके बीच में अब 31 जुलाई तक बच्चों को उनके घर पर ही एक नए वातावरण में पढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। इस तरह के अभियान से मध्य प्रदेश के करीब 50 लाख बच्चों को पढ़ाने की एक बड़ी कोशिश की जा रही है।

भोपाल जिले के कागदीपुरा गाँव के राहुल पटेल बताते हैं, "सरकार द्वारा जो अभियान शुरू किया जा रहा है। वह अच्छी कोशिश है, इसमें पालकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। शिक्षकों ने हमको किताब उपलब्ध करा दी है। अब हमारे बच्चों को हमें घर पर ही पढ़ाना है। बच्चों को मोबाइल से पढ़ाना मुश्किल हो गया था। क्योंकि हर किसी के पास मोबाइल संभव नहीं था। जिन लोगों के पास मोबाइल था तो उनको कई तरह की तकनीकी दिक्कतों के कारण मोबाइल चलाना नहीं आ रहा था। ऐसे में यह एक अच्छा प्रयोग किया गया है।"

क्या है योजना

इस अभियान के तहत गांव के चुनिंदा घरों में शाला का चयन किया जा रहा है। इसमें जिस घर में शाला का संचालन किया जाएगा। वहां पर आसपास के कुछ बच्चे एकत्रित होंगे जो कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेंगे। साथ ही व्यक्तिगत सफाई का भी ध्यान रखेंगे और मास्क पहनकर ही पढ़ाई करेंगे। अभियान के पीछे का मकसद यह है कि बच्चों को किसी तरह से शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा रखा जाए। लगातार 4 महीने से बच्चे स्कूल से दूर थे। करीब 120 दिन बाद बच्चों को स्कूल जैसी व्यवस्था से जुड़ने का मौका मिला है।


ग्राम कागदीपुरा की महिला सरपंच गीताबाई परमार कहती हैं, "मैंने अपने घर को ही बच्चों के लिए उपलब्ध कराया है। पहले हम हिचक रहे थे, क्योंकि कोरोना वायरस संक्रमण का डर है। शिक्षकों ने हमें समझाया, उसके बाद हमने बहुत कम संख्या में बच्चों की उपस्थिति होने की बात पर अपने घर शाला लगाई है। प्रतिदिन बच्चों को थाली बजाकर हम बुलाएंगे। जिससे कि बच्चों को अपने स्कूल की याद आ जाए। सुबह 10 से 1 बजे तक पढ़ाई करना होगी। साथ ही खेल में कई गतिविधियां हो सकेगी। ग्राम कागदीपुरा में 5 स्थानों पर इस तरह के स्कूल संचालित होंगे, जिसके लिए हमें लोगों ने स्थान उपलब्ध कराया है। साथ ही इसमें 100 बच्चे हमसे जुड़ गए हैं।"

बच्चे की माता दुर्गा बाई चौहान ने कहा कि स्कूल में बच्चे लंबे समय से नहीं जा रहे थे। इसलिए हमने शासन की योजना के तहत व्यवस्था की है। हमें बच्चों के लिए ध्यान देना होगा। हम इन बच्चों को पढ़ाई करवाने में मदद करेंगे।

बच्चे के पिता कांतिलाल हटीला ने बताया कि इस बीमारी के कारण बहुत परेशानी हो रही है। स्कूल नहीं खुलने से बच्चों को घर में कैद रहना पड़ा है। अब जबकि अभियान की शुरुआत हो गई है तो हमें उम्मीद है कि इसके माध्यम से बच्चे पढ़ पाएंगे। हम अपने स्तर पर पूरा सहयोग करेंगे। स्कूल से हमें किताब उपलब्ध हो गई है। हमारे बच्चे और आस पड़ोस के बच्चे एक जगह बैठ कर सावधानी पूर्वक पढ़ेंगे। हमें इनकी सावधानी और सुरक्षा की भी चिंता है। 


राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक सुभाष यादव बताते हैं, "हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान हमारे स्कूल में प्रयोग किया गया है। इसके तहत 100 बच्चे पांच स्थानों पर पहले दिन पढ़ाई कर पाए हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को शिक्षकों के माध्यम से पुस्तकें उपलब्ध हो चुकी हैं। यह ऐसा अभियान है जिसमें पालक और शिक्षक दोनों मिलकर बच्चों की चिंता करके उनकी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए उनकी पढ़ाई करवाएंगे। 31 जुलाई तक अभियान चलेगा। उसके बाद राज्य शिक्षा केंद्र के निर्देशानुसार में अलग व्यवस्था होगी। फिलहाल 120 दिन से जो बच्चे स्कूल से दूर हो चुके थे, उनको नए सिरे से स्कूल में जुड़ने का मौका मिला है। इस अभियान के तहत बड़ी संख्या में बच्चे लाभान्वित हो यह प्रयास पूरे आदिवासी बहुल धार, झाबुआ, अलीराजपुर जिले में किया जा रहा है। मध्यप्रदेश में वे सभी नए प्रयोग की सफलता को लेकर भी सभी कोशिश कर रहे हैं।"

ग्राम बगड़ी के उपसरपंच ऋषिराज जायसवाल ने बताया कि शासन ने यह प्रयोग जरूर किया है, लेकिन यह प्रयोग हर स्थान पर सफल हो संभव नहीं है, कुछ स्थानों पर जहां शिक्षक पालक बहुत अधिक जागरूक हैं। वहीं पर यह सफल हो पा रहा है। ऐसे में हमें देखना यह है कि इस मामले में बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग के मामले में विशेष रूप से जागरूक किया जाए। साथ ही मास्क आदि पहनने पर भी जोर दिया जाए। जिन गांव में कंटेनमेंट एरिया है। वहां पर बिल्कुल भी इस तरह की कोशिश नहीं की जाए। जो गांव बहुत सुरक्षित है, जहां पर कोई कांटेक्ट नहीं है, वहीं पर इस तरह की पढ़ाई हो सकती है।

जिला शिक्षा केंद्र धार के डीपीसी ने बताया कि पहले दिन हमारे जिले में बेहतर हालात रहे है। बच्चों को शिक्षकों ने किताबें उपलब्ध करावा दी है। इस तरह से बच्चे घर पर ही शिक्षकों की सहायता से पढ़ाई कर सकेगे। धार जिले में करीब 2 लाख बच्चों को योजना के तहत जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

ये भी पढ़ें: कोरोना से देश के 32 करोड़ छात्रों की शिक्षा प्रभावित

  

Similar News