तमिलनाडु में सूखे के कारण सैकड़ों गायों की मौत !

Update: 2017-04-29 13:34 GMT
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लखनऊ। तमिलनाडु में सूखे के कारण फसलें बर्बाद हो रही हैं। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। लेकिन अब सूखे की चपेट में मवेशी भी आ गए हैं। बड़ी संख्या में गायों की मौत हो रही है। तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में पिछले कुछ महीनों से हर दिन पांच गायों की मौत हो रही है। मोयर, मसीनागुड़ी और बालाकोला गांव में पिछले कुछ दिनों में लगभग 300 गायों की मौत हो चुकी है।

टाइम्स नाउ की खबर के अनुसार हरे चारे और पानी की कमी के कारण राज्य में बड़ी संख्या में गायों की मौत हो रही है। मोयर के 45 वर्षीय किसान आर नारायण ने बताया कि पिछले छह महीनों में सूखे के कारण उनकी 50 गायों की मौत हो चुकी है। आज के समय में प्रतिदिन 5 गायों की मौत हो रही है। एक और किसान मसीनागुडी ने कहा कि पिछले सप्ताह से अब तक मेरे 20 गायों की मौत हो चुकी है। हम हर बार राजस्व अधिकारियों को इस बारे में सूचित करते हैं लेकिन वो पोस्टमार्टम तक नहीं करवाते।

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नारायण ने बताया कि डॉक्टर्स को जिला प्राधिकरण की ओर से पैसे नहीं दिए जाते जिस कारण डॉक्टर आगे की कार्रवाई नहीं करते। नारायण ने बताया कि डॉक्टर हमारे पास आते हैं और मृत गायों की फोटो खींचने के लिए बोलते हैं और फिर कहते हैं शव को काटो। हम ऐसा करने से मना कर देते हैं और गायों को कहीं दफना देते हैं। नारायाण ने कहा कि ये गायें बस हमारी अजीविका के लिए ही नहीं होतीं, ये हमारे जीवन का हिस्सा भी होती हैं। मैंने पिछले साल हरे चारे के लिए लगभग 8 लाख रुपए खर्च किए बावजूद इसके मैं अपनी गायों को बचा नहीं पाया।

पर्यावरणविदों ने कहा कि इरोडा, सालेम और कोयंबटुर में भी सूखे कारण गायों की मौत हो रही है। वर्तमान में लगभग 2000 गायें सूखे के कारण बीमार हैं। नारायण ने कहा कि कुछ सप्ताह बाद बारिश आने वाली है। हो सकता है तब कुछ स्थिति बदले, लेकिन तब तक कई गायों की मौत हो चुकी होगी।

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एक एनजीओ के सदस्य भारतीदासन नपे बताया कि नीलगिरी के एक गांव में मुझे एक स्क्वायर किमी के क्षेत्र में ही 50 मृत गायों के अवशेष दिखे। भारतीदासन ने कहा कि इतने कम क्षेत्र में 50 से ज्यादों को अवशेषों को देखकर मैं आश्चर्यचकित था। अगर इन गायों की मौत टाइगर के हमले में हुई है तो ये भी बड़ा मुद्दा है। लेकिन ज्यादातर गायों की मौत हरे चारे की कमी के कारण हुई है।

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