आईएनएस कलवरी की खासियतें जानें

Update: 2017-12-14 13:42 GMT
भारत में बनी पनडुब्बी आईएनएस कलवरी 

आलोक भदौरिया

फ्रांस के सहयोग से भारत में बनी पनडुब्बी आईएनएस कलवरी मेक इन इंडिया का सटीक उदाहरण है। कलवरी को अपना नाम हिंद महासागर की गहराइयों में रहने वाली टाइगर शार्क से मिला है। यह देश की पहली डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी या सबमरीन है, इस समय नौसेना के पास 13 पारंपरिक सबमरीन और एक एटॉमिक सबमरीन है। यह स्कॉर्पिन श्रेणी की उन 6 पनडुब्बियों में से पहली है जिसे भारतीय नौसेना में शामिल किया जाना है। आइए जानते हैं इसकी कुछ खूबियों के बारे में:-

1. कलवरी भारतीय नौसेना की ऐसी पहली सबमरीन है जिसमें एआईपी या एयर इंडिपेंडेंट प्रपल्शन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। एआईपी तकनीक की वजह से कलवरी को चलने के लिए वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन की जरूरत नहीं होगी मतलब यह बिना किसी की नजर में आए 21 दिनों तक पानी के नीचे रह सकती है।

2. यह एक ऐसी अटैक सबमरीन है जिसमें 18 एसएम-39 एक्सोसेट एंटी शिप मिसाइल तैनात हैं। ये बिना रेडार की पकड़ में आए 180 किलोमीटर दूर दुश्मन जहाज पर हमला बोल सकती है।

3. 20 नॉट या 37 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से चलने वाली कलवरी इस इलाके की सबसे तेज चलने वाली पनडुब्बियों में से एक है। पानी के ऊपर इसकी रेंज 12000 किलोमीटर और पानी के नीचे 1000 किलोमीटर है। मतलब पूरा दक्षिण पश्चिम एशिया इसकी रेंज में है।

4. कलवरी समुद्र के नीचे 350 मीटर की गहराई में चल सकती है इसलिए भी इसका पता आसानी से नहीं लगाया जा सकता।

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पाकिस्तान और चीन की बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए भारत को 18 डीजल इलेक्ट्रिक और 6 एटॉमिक पनडुब्बियों की जरूरत है।

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