टाटा ट्रस्ट की मदद से चार राज्यों में उभर रहे हैं लखपति किसान 

Update: 2017-04-30 21:48 GMT
फाइल फोटो।

नई दिल्ली (भाषा)। झारखंड, गुजरात, ओडिशा और महाराष्ट्र में जनजातीय किसानों की स्थिति सुधर रही है और वे ‘लखपति किसान' के रूप में उभर रहे हैं। इसका श्रेय टाटा ट्रस्ट के 450 गांवों में की जा रही पहल को जाता है। ट्रस्ट किसानों को अधिक कृषि उत्पादन प्राप्त करने और बेहतर मूल्य के लिये मांग आधारित उपज प्राप्त करने के लिए संसाधनों के अधिकतम उपयोग को लेकर छोटे समूह में जनजातीय परिवार को शिक्षा एवं प्रशिक्षण दे रहा है। इससे किसानों की आय बढ़ी है। ट्रस्ट अपने पंच वर्षीय मिशन कार्यक्रम ‘लखपति किसान, स्मार्ट गांव' के तहत ये पहल पिछले दो साल से झारखंड, ओडिशा, गुजरात और महाराष्ट्र में कर रहा है। इस कार्यक्रम की शुरुआत 2015 में हुई।

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ट्रस्ट से जुड़ा संगठन ‘कलेक्टिव्स फार इंटिग्रेटेड लाइवलीहुड इनीशिएटिव' के कार्यकारी निदेशक गणेश नीलम ने कहा, ‘‘फिलहाल हम चार राज्यों के 450 गांवों में काम कर रहे हैं. हमारे अभियान का प्रभाव 1,00,000 परिवार पर पडा है. इसमें से 15-20 प्रतिशत लखपति किसान हैं।'' उन्होंने पीटीआई भाषा से कहा कि इन परिवारों की सालाना आय 50,000 रपये से कम थी और अब उनकी आय में अच्छा सुधार हुआ है और चिंता अब इस आय स्तर को बनाये रखने की है।'' इस पहल का मकसद 2020 तक आठ राज्यों में कुल 560 गांवों को दायरे में लाना है तथा एक लाख जनजातीय परिवार को लाभ पहुंचाना है. इसी प्रकार की पहल, चार अन्य राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ और पश्चिम बंगाल में शुरु की जाएंगी। ऐसे परिवार के समक्ष चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर नीलम ने कहा कि ट्रस्ट का जोर समुदाय संस्थानों को मजबूत बनाने, जनजातीय समुदाय को गरीबी से बाहर निकालना तथा उन्हें बेहतर आजीविका उपलब्ध कराने की है। इसमें लगने वाले कोष के बारे में ब्योरा दिये बिना उन्होंने कहा कि ट्रस्ट इच्छित परिणाम के लिये राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहा है।

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