रिलायंस ‘जियो’ का आईडिया कहां से आया जब मुकेश अंबानी ने बताया तो चौंक गए लोग

Update: 2018-03-17 14:23 GMT
रिलायंस इंडस्ट्रीज प्रमुख मुकेश अंबानी।

लंदन। रिलायंस जियो ने करीब दो साल में भारत को दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल ब्रॉडबैंड डेटा उपभोक्ता देश बना दिया है और इस परियोजना का विचार सबसे पहले वर्ष 2011 में रिलायंस इंडस्ट्रीज समूह के प्रमुख मुकेश अंबानी की बेटी ईशा के मन में आया। यह बात अब खुद मुकेश अंबानी ने बताई है।

रिलांयस इंडस्ट्रीज फाइनेंशियल टाइम्स आर्सेलर मित्तल बोल्डनेस इन बिजनेस पुरस्कार समारोह में परिवर्तन लाने वाले उद्यम के रूप में सम्मनित किया गया। अंबानी ने पुरस्कार ग्रहण करते हुए अपने भाषण में रिलायंस जियो के पीछे की कहानी उजागर की।

रिलायंस ने वर्ष 2016 में जियो को शुरू किया और देश के मोबाइल फोन बाजार में उथलपुथल मचाने के लिए 31 अरब डॉलर खर्च किए। उन्होंने भारत में पहले से मोबाइल सेवाएं दे रही प्रतिद्वंदी कंपनियों को फोन कॉल और मोबाइल इंटरनेट की दरें कम करने पर मजबूर कर दिया। थोड़े ही समय में जियो देश की चौथी सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी बनकर उभरी।

रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अम्बानी, पत्नी नीता अम्बानी व उनके बच्चे।

अंबानी ने कहाकि युवा प्रतिभा की अधिकता के साथ भारत वर्ष 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए तैयार है। उन्होंने याद करते हुए कहा, "जियो का विचार सबसे पहले मेरी बेटी ईशा के मन में वर्ष 2011 में आया। उस समय वह अमेरिका के येल में पढ़ाई कर रही थी और छुट्टियां बिताने के लिए घर आई थी। वह कुछ कोर्स वर्क भेजना चाहती थी और उसने कहा कि डैड, हमारे घर का इंटरनेट अटक जाता है।"

अंबानी ने कहा कि ईशा के जुड़वां भाई आकाश ने उस समय कहा कि पुरानी दुनिया में दूरसंचार का मतलब केवल फोन काल की सुविधा था और लोगों ने फोन पर बात करने की सुविधा देकर खूब पैसा कमाया लेकिन आधुनिक दुनिया में सब कुछ डिजीटल है। उन्होंने कहा, "ईशा और आकाश भारत की युवा पीढ़ी से ताल्लुक रखते हैं, जो कि कहीं ज्यादा सृजनात्मक, कहीं ज्यादा महत्वाकांक्षी और दुनिया में खुद को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए कहीं ज्यादा बेताब हैं। इन युवा भारतियों ने मुझे आश्वस्त किया कि इंटरनेट काफी पीढ़ी को परिभाषित करने वाली तकनीकी है और भारत इसे त्याग नहीं सकता।"

हमने सितंबर वर्ष 2016 में जियो को पेश किया और आज जियो भारत में बदलाव का सबसे बड़ा कारक बन गया है। इसने वर्ष 2019 में भारत को 4जी का अगुवा बना दिया और आज यह 5जी के लिए तैयार है।

अंबानी ने कहा कि जियो भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा स्टार्ट-अप बनाने की दिशा में बढ़ रहा है। उन्होंने अपने दिवंगत पिता धीरूभाई अंबानी को भारतीय कारोबार जगत के इतिहास के वास्तविक बदलाव का अगुवा बताते हुए कहा कि उन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) की स्थापना वर्ष 1996 में महज 1000 रुपए से की थी।

इससे पहले यह पुरस्कार डीपमाइंड टेक्नोलॉजीज (वर्ष 2016), फानुक (वर्ष 2015), एचबीओ (वर्ष 2014), अलीबाबा (वर्ष 2013) मोनड्रैगन कॉर्पोरेशन (वर्ष 2012), अमेजन (वर्ष 2011), एपल (वर्ष 2010) को मिला था।

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इनपुट भाषा

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