सुलोचना और अयूब: हाथी और महावत के बीच प्यार का अटूट बंधन

स्लो एप पर देखिए उत्तर प्रदेश के दुधवा नेशनल पार्क में हाथी सुलोचना और उसके महावत अयूब खान के बीच के प्यार और विश्वास की अटूट कहानी।

Update: 2021-06-19 06:39 GMT

दुधवा नेशनल पार्क में सुलोचना अपने महावत अयूब खान के साथ। सभी फोटो: गाँव कनेक्शन

जून के पहले हफ्ते में ,सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियों में पल्लत ब्रह्मदथन नाम का हाथी नम आंखों से अपने महावत दामोदरन नायर को भावभीनी श्रद्धांजलि देते देखा गया। इन दोनों के बीच प्यार और अटूट बंधन के वीडियो और उनके फोटो को काफी लोगों ने शेयर किया था।

हाथी और महावत के बीच का रिश्ता बहुत ही खास और अटूट होता है। इस प्यार और विश्वास को बनाने में कई साल लगते हैं। कुछ ऐसे ही रिश्ते की कहानी है दुधवा नेशनल पार्क, उत्तर प्रदेश की हथिनी सुलोचना उसके महावत अयूब खान की।

सुलोचना 2008 में, पश्चिम बंगाल से चार अन्य साथियों के साथ दुधवा आई थी। खान के लिए सुलोचना उसके परिवार जैसी है। वह उसे थपथपाते हुए कहते हैं, "सभी को एक-एक हाथी दिया गया था। मुझे सुलोचना मिली।"


स्लो एप के फॉरेस्टर पार्टनर चैनल पर बड़ी ही खूबसूरती से इन दोनों के संबंधों को दर्शाया गया है। स्लो एप लेखक, गीतकार, कहानियां सुनाने वाले नीलेश मिसरा का चैनल है।


खान की दिनचर्या सुलोचना के इर्दगिर्द घूमती है। खान बताते हैं,"सोकर उठने के बाद से मैं उसके आस-पास ही रहता हूं। सुबह उठकर उसके गोबर की जांच करता हूं। उसके चारों तरफ घूमता हूं, यह देखने के लिए कि सब ठीक-ठाक है या नहीं। उसने रात में घास खाई या नहीं, इसका भी ध्यान रखता हूं। अगर मुझे कुछ गड़बड़ लगती है तो मैं अधिकारियों और पशु चिकित्सकों को इसकी सूचना दे देता हूं। और फिर उसका इलाज शुरू हो जाता है।"

अगर सुलोचना ठीक है तो वे दोनों सरकंडों, घास और जलकुंडों के बीच गैंडों की निगरानी के लिए निकल पड़ते हैं। खान बताते हैं,"सुलोचना को एक दिन में लगभग डेढ़ क्विंटल चारा चाहिए। इसके अलावा वो जंगल में भी घास खाती है। मैं भी इसके लिए कुछ चारा लाता हूँ और कुछ रात के लिए छोड़ देता हूं। वह रात में खाती है और सिर्फ एक या दो घंटे के लिए सोती है।"


सुबह-सुबह सुलोचना को पानी से रगड़-रगड़ कर साफ किया जाता है। खान के साथ बाहर जाने से पहले सुलोचना को खाने के लिए आटा, गुड़, नमक, तेल और चना मिलाकर देते हैं। यही वो पल होते है जब सुलोचना खान को जताती है कि वो उसकी कितनी परवाह करती है। ये सिर्फ उन दोनों का समय होता है। खान कहते हैं, "वह मासूम है और बिलकुल परिवार जैसी।"

इस लघु फ़िल्म की सिनेमाटोग्राफी यश सचदेव और मोहम्मद सलमान ने की है। एडिटिंग पी मधु कुमार की है और ग्राफिक्स कार्तिकय द्वारा किए गए हैं।

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अनुवाद- संघप्रिया मौर्य

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