पटरियों के सिकुड़ने से होने वाले हादसों को रोकेगी रेलवे की नई तकनीक  

Update: 2017-11-23 13:00 GMT
रेलवे ट्रैक।

लखनऊ (आईएएनएस)। अब पटरियों के सिकुड़ने या फैलने की वजह से होने वाली घटनाओं पर लगाम लगाई जा सकेगी। रेलवे के अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन लखनऊ ने एक ऐसी ही नई तकनीक का ईजाद किया है। इस तकनीक का नाम अल्ट्रासोनिक ब्रोकन रेल डिटेक्शन (यूबीआरडी) है। दो रेलखंडों में इसका ट्रायल भी शुरू हो गया है।

रेलवे के अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित है।

आरडीएसओ के एक अधिकारी ने बताया कि गर्मी में फैलाव और सर्दियों में पटरियों के सिकुड़ने के कारण होने वाली घटनाओं को रोकने के लिए जल्द ही अल्ट्रासोनिक किरणों की एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।

आरडीएसओ के एडीजी जोगेश सिंह के मुताबिक, "अल्ट्रासोनिक ब्रोकन रेल डिटेक्शन पर काम चल रहा है। इस तकनीक में अल्ट्रासोनिक किरणें रेल फ्रैक्चर व पटरियों के जोड़ की जानकारी देती हैं। इन किरणों से टूटी हुई पटरियों की जानकारी मिलते ही अलार्म बजने लगता है। इससे लोको पायलट सतर्क हो जाता है।"

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सिंह ने बताया कि उत्तर मध्य रेलवे के इलाहाबाद डिवीजन और उत्तर रेलवे के मुरादाबाद डिवीजन में इस तकनीक का ट्रायल चल रहा है। ट्रायल के लिए 25-25 किलोमीटर का सेक्शन चुना गया है जहां इस सिस्टम को लगाया गया है। ट्रायल के जल्द पूरा होने की उम्मीद है, जिसके बाद इस तकनीक का इस्तेमाल शुरू हो सकेगा।

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