मध्य प्रदेश : ईंट-पत्थरों से बनाए डम्बल, मशीनों की जगह काम आईं लकड़ियां, युवाओं ने गाँव में बना दिया देसी जिम

मध्य प्रदेश के गोबरांव खुर्द गाँव में बनाई गई यह प्राकृतिक व्यायामशाला ग्रामीणों के लिए न सिर्फ आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, बल्कि आस-पास के गाँव से लोग रोज इस देसी जिम में आकर व्यायाम भी करते हैं।

Update: 2020-09-30 13:10 GMT

सतना (मध्य प्रदेश)। शहरों में बड़े-बड़े जिम होते हैं, व्यायाम करने के लिए मॉडर्न मशीनें होती हैं, साउंड सिस्टम लगे होते हैं, मगर गाँव में बनाया गया यह जिम थोड़ा अलग है।

बंद कमरों में नहीं, बल्कि हरे-भरे पेड़-पौधों के बीच बने इस ख़ास जिम में ईंट-पत्थरों से डम्बल बनाए गए हैं, मशीनों की जगह बेकार पड़ी लकड़ियों का उपयोग किया गया है, यहाँ तक कि बाँधने के लिए बेकार और पुरानी साड़ियाँ इस्तेमाल में लायी गयी हैं।

यह खास देसी जिम मध्य प्रदेश के सतना जिले में आने वाले गोबरांव खुर्द गाँव के युवाओं ने तैयार किया है। ख़ास बात यह है कि इन दिनों इस देसी जिम में व्यायाम करने के लिए आस-पास के गांवों के भी कई लोग आते हैं।

युवाओं ने शून्य लागत में गाँव में तैयार किया यह देसी जिम। फोटो : सचिन तुलसा त्रिपाठी 

गाँव में इस देसी जिम के संचालक नापेन्द्र सिंह 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "गांव के अधिकांश युवा जिम में व्यायाम करने के लिए या तो 16 किलोमीटर दूर सतना जाते या फिर 10 किलोमीटर दूर उचेहरा जाते थे। लॉकडाउन की वजह से उनका रूटीन गड़बड़ हो गया था, इसलिए गाँव में ही हमने ये प्राकृतिक जिम तैयार किया।"

इस देसी जिम को बनाने के लिए कोई लोहा या लागत नहीं लगाई गयी, न ही कहीं से कोई सामग्री खरीदनी पड़ी। बस घरों के आसपास पड़े रहने वाले ईंट-पत्थरों और बेकार पड़ी लकड़ियों से जिम खाना की जरूरी मशीनें तैयार कर ली। जहां जरूरत पड़ी बांधने की तो फटी-पुरानी साड़ियों की सुतली बना ली। यानी की इस जिम को बनाने में एक रुपये भी खर्च नहीं किया गया।

इस जिमखाना के मास्टर ट्रेनर कर्णवीर 'गाँव कनेक्शन' बताते हैं, "यहां जिमखाना तैयार करने के लिए युवाओं ने ईंट-पत्थरों, टीन के डिब्बों से डंबल बनाए हैं। बाइसप्स के लिए सीमेंट के अलग-अलग वजन वाले चक्के भी तैयार किए हैं। इसके अलावा शोल्डर की एक्सरसाइज के लिए साइकिल के पहिए में लगने वाला तिल्लियों का फ्रेम लिया है ताकि निवार का पट्टा घूम सके। हमारे पास लगभग सभी तरह की एक्सरसाइज के लिए व्यवस्था है।"

मशीनों की जगह बेकार पड़ी लकड़ियों का किया गया है उपयोग। फोटो : सचिन तुलसा त्रिपाठी 

कर्ण वीर बताते हैं, "सतना और उचेहरा के जिम खानों में जाने के लिए किराया दो, फिर जिम की फीस भी दो, तो यह बेहद खर्चीला है। मगर जो हमने यह देसी जिम बनाया है, यह पूरी तरह नि:शुल्क है। इस जिमखाने में गाँव के युवाओं ने शोल्डर, चेस्ट, बैक, एब्स, बाईसेप्स, ट्राइसेप्स, लेग्स, स्ट्रेंथ और लैडर जैसी एक्सरसाइज के लिए देसी व्यवस्था की गयी है।"

फिलहाल गाँव में बनी यह प्राकृतिक व्यायामशाला ग्रामीणों के लिए न सिर्फ आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, बल्कि आस-पास के गाँव से लोग इस जिम में आकर व्यायाम भी करते हैं।

इस जिम को बनाने में मदद करने वाले एक और युवा विकास बताते हैं, "शुरुवात में तो इस जिम में दो-चार लोग आते थे, मगर जैसे-जैसे लोगों को पता चला, तो लोग बढ़ने लगे, खुले वातावरण में बने इस जिम को लोग पसंद करने लगे, अब तो यहाँ 50 से 60 लोग रोज एक्सरसाइज करने के लिए आते हैं।"   

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