बच्चा गोद लेने को लेकर केंद्र सरकार का नया फैसला, जानें क्या हैं गाइडलाइन

Update: 2017-07-12 14:46 GMT
ये गाइडलाइन महिलाओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है।

लखनऊ। सुष्मिता सेन से लेकर रवीना टंडन तक कई बॉलीवुड सेलिब्रिटीज ऐसी हैं जो सिंगल मॉम बनी हैं। इन्होंने अनाथ बच्चों को गोद लेकर उनको मां का प्यार दिया है। देश में और भी ऐसे कई ऐसे लोग हैं जो शादी से पहले या शादी के बाद बच्चा गोद लेना चाहते हैं। हमारे देश में बच्चा गोद लेने को लेकर कुछ गाइडलाइन्स बनी हैं। इसमें उम्र, लिंग, आर्थिक क्षमता आदि को परखा जाता है। हाल ही में भारत के महिला और बाल विकास मंत्रालय ने बच्चा गोद लेने के लिए एक और गाइडलाइन बनाई है। ये गाइडलाइन महिलाओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है।

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इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक, केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है कि आर्थिक रूप से सक्षम और 40 साल से अधिक की महिला को बच्चा गोद देते समय वरीयता दी जाएगी। महिला और बाल विकास मंत्रालय के निकाय केंद्रीय दत्तक अनुसंधान एजेंसी (सीएआरए) ने यह निर्णय लिया है।

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महिला और बाल विकास मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कई महिलाओं के प्रतिनिधियों पर विचार करने के बाद इस कदम का प्रस्ताव दिया था। बच्चा गोद देने के समय इन बातों को ध्यान में रखा जाता है कि गोद लेने वाला बच्चे की अच्छे से देखभाल कर पाएगा या नहीं। ऐसे में अगर महिला की आयु 40 साल से ऊपर है और वह आर्थिक रूप से सक्षम है तो वह इस मानदंड में खरी उतरती है। ऐसे में बच्चा गोद देते समय उस महिला को प्राथमिकता दी जाएगी। यह निर्णय तब लिया गया जब केंद्र सरकार ने यह नियम बनाया कि अब सिर्फ शादीशुदा जोड़ों को ही सरोगेसी प्रक्रिया को चुनने की इजाज़त दी जाएगी।

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इस साल की शुरुआत में हिंदुस्तान टाइम्स में एक रिपोर्ट छपी थी जिसके मुताबिक, अगस्त 2015 तक 412 एकल महिलाओं ने सीएआरए में पंजीकरण कराया था जिसमें से 2015 में 72 महिलाओं ने और 2016 में 93 महिलाओं ने बच्चा गोद लिया। जबकि अगस्त 2015 तक सिर्फ 28 एक पुरुषों ने सीएआरए में रजिस्ट्रेशन कराया था जिसमें से 2015 में 5 पुरुषों ने बच्चों को गोद लिया और 2016 में सात पुरुषों ने।

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