'प्रधानमंत्री जी इस दिवाली हम भीख मांगने की कगार पर हैं'
सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी महानगर टेलीकॉम निगम लिमिटेड (MTNL) इस वक्त बुरे दौर से गुजर रही है।
''दिवाली हर बार आती थी, इस बार MTNL के कर्मचारियों का दिवाला आया है। सोचिए किसी कर्मचारी को अगर दो महीने से वेतन न मिले तो उसका परिवार कैसे चलेगा। MTNL के कर्मचारियों का यही हाल है। ऐसे में हम क्या ही त्योहार मनाएंगे।'' यह बात 39 साल के एमटीएनएल कर्मचारी रणविजय सिंह कहते हैं।
रणविजय एमटीएनएल में सीनियर टेलीकॉम ऑफिस असिसटेंट के तौर पर तैनात हैं। वो उन 22 हजार कर्मचारियों में से एक हैं जिन्हें इस साल अगस्त से सैलरी नहीं मिली है। रणविजय सिंह कहते हैं, ''हाल यह है कि बिना वेतन भुगतान के कर्मचारी रोज अपने खर्चों पर कार्यालय आ रहे हैं। हम लोग हमेशा वेतन और नौकरी के बारे में ही सोच रहे हैं। इसकी वजह से कई कर्मचारी डिप्रेशन में जा चुके हैं। मैनेजमेंट और सरकार में बैठे लोग इतने संवेदनहीन हो जायेंगे इसका अंदाजा नहीं था।''
सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी महानगर टेलीकॉम निगम लिमिटेड (MTNL) इस वक्त बुरे दौर से गुजर रही है। हाल यह है कि मुंबई और दिल्ली में एमटीएनएल के करीब 22 हजार कर्मचारियों को अबतक अगस्त और सितंबर की सैलरी नहीं मिल पाई है। फाइनेंसिअल एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, MTNL में कर्मचारियों को हर महीने सैलरी देने में करीब 180 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। यानि दो महीने की सैलरी के हिसाब से करीब 360 करोड़ रुपए बकाया है। सैलरी की इस अनियमितता का दौर पिछले साल दिसंबर से शुरू हुआ था, जोकि 10 महीने बाद भी जारी है।
इस मामले पर एमटीएनएल मजदूर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष रामप्रकाश तिवारी (55 साल) कहते हैं, ''आप मन से काम करें और सैलरी न मिले तो कितनी तकलीफ होती है यह तो कोई भी समझ सकता है। सवाल सैलरी तक का होता तो भी समझ आता, हमारा जीपीएफ (सामान्य भविष्य निधि) भी नहीं मिल पा रहा। जीपीएफ के लिए कई लोगों ने मार्च से डिमांड की हुई है उन्हें अब तक नहीं मिला है। जो लोग रिटायर हो गए हैं, उन्हें पेंशन नहीं मिल रही है। बस यही समझ लें कि भीख नहीं मांग रहे हैं।''
रामप्रकाश तिवारी कहते हैं, ''त्योहार का समय है और सैलरी नहीं मिलेगी तो कैसे चलेगा। हम लोग लगातार सरकार से यह बताने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोई खास सुनवाई नहीं हो रही है। मैं तो प्रधानमंत्री जी से यही कहूंगा कि प्रधानमंत्री जी इस त्योहार में हम भीख मांगने की कगार पर हैं।''
रामप्रकाश तिवारी आगे कहते हैं, ''इन सब घटनाओं से हम व्यक्तिगत तौर पर कमजोर हुए हैं। हम लोग तो भारतीय मजदूर संघ से जुड़े हैं। सबके मन में है कि हम सरकार को सपोर्ट करने वाले संघ से हैं। लेकिन सरकार की इस सेक्टर को लेकर जो गतिविधि है वो पीड़ादायक है।''
रामप्रकाश बताते हैं, ''मेरे एक साथी हैं उनकी बेटी की शादी नवंबर में है। उन्होंने अपने जीपीएफ के लिए मार्च में अप्लाई किया था। उन्होंने सोचा था कि अगर वो मिल जाता तो किसी से ज्यादा मांगने की जरूरत नहीं होती, लेकिन आज तक वो मिला नहीं है। इससे दिक्कत तो हो ही रही है। अगर ऐसी ही स्थिति बनी रही तो निश्चित रूप से हालात और खराब होंगे।''
वहीं, एमटीएनएल मजदूर संघ के जनरल सेक्रेटरी धर्मराज सिंह बताते हैं, ''त्योहार का मौसम है तो सैलरी की जरूरत सबको है। ऐसे में 16 अक्टूबर को हमने इंडिया गेट से प्रधानमंत्री कार्यालय तक कैंडल मार्च निकालने की तैयारी की थी। इसको देखते हुए एमटीएनएल के जीएम संदीप केशकर की ओर से एक अपील की गई कि 25 अक्टूबर तक अगस्त की सैलरी हमें मिल जाएगी। इस अपील के बाद हमने कैंडल मार्च स्थगित कर दिया है। साथ ही हमने यह मांग भी रखी है कि सितंबर और अक्टूबर की सैलरी नवंबर के पहले हफ्ते में दे दी जाए।''
धर्मराज सिंह कहते हैं, ''हम चाहते हैं कि एमटीएनएल के रिवाइवल का प्रपोजल कैबिनेट से पास हो जाए। यह काफी दिनों से अटका हुआ है। इसके पास होने से कुछ राहत मिलेगी। एमटीएनएल की बदहाली का असर कर्मचारी के जीवन पर तो है ही, इससे कंपनी पर भी प्रभाव पड़ रहा है। पिछले एक दशक से इसमें एक रुपए का इन्वेस्टमेंट नहीं हो रहा, इससे हम टेक्नोलॉजी के तौर पर पिछड़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में निजी कंपनियों को इसका लाभ मिल रहा है।''
इसी महीने की 9 और 10 तारीख को एमटीएनएल के कर्मचारी दिल्ली के संचार भवन पर भूख हड़ताल पर बैठे थे। उस वक्त भी अधिकारियों की ओर से यह आश्वासन दिया गया था कि कर्मचारियों की सैलरी 16 अक्टूबर तक रिलीज कर दी जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसके बाद ही कर्मचारी 16 अक्टूबर को कैंडल मार्च निकालने का प्लान कर रहे थे। इसके बाद फिर एक बार कर्मचारियों को आश्वासन मिला है।
मैनेजमेंट की ओर से मिल रहे इस आश्वासन पर एमटीएनएल के सेक्शन सुपरवाइजर परवेश यादव कहते हैं, ''हमें लगातार आश्वासन ही मिल रहा है। त्योहार है और लोगों की दो-दो महीने की सैलरी नहीं मिल रही है, बस आश्वासन दिया जा रहा है। यह कर्मचारियों को बस गुमराह करने का तरीका है। पूरी तरह से कर्मचारियों का शोषण हो रहा है। हमें तो नहीं लगता कि सैलरी आएगी। बार-बार बस आश्वासन दे रहे हैं। ऐसे में इनकी बात पर विश्वास नहीं होता है।''
इस मामले पर जब एमटीएनएल के सीएमडी सुनील कुमार से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने पहले पूरी बात सुनी और फिर मीटिंग का हवाला देते हुए कॉल कट कर दिया। कुछ घंटों के अंतराल पर जब उन्हें दो बार कॉल किया गया तो फोन रिसीव नहीं हुआ। उनकी ओर से जैसे ही कोई कोई प्रतिक्रिया मिलेगी खबर में अपडेट किया जाएगा।