बात पते की: जानिए क्या होते हैं उपभोक्ता के अधिकार

Update: 2020-02-19 07:25 GMT
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस

हम में से हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में उपभोक्ता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अनुसार कोई व्यक्ति जो अपने उपयोग के लिये सामान खरीदता है वह उपभोक्ता है। आज उपभोक्ता जमाखोरी, कालाबाजारी, मिलावट, अधिक दाम, कम नाप-तौल इत्यादि संकटों से घिरा है। उपभोक्ता क्योंकि संगठित नहीं हैं इसलिए हर जगह ठगा जाता है। इसलिए उपभोक्ता को जगना होगा और खुद को इन संकटों से बचाना होगा।

बहुत कम उपभोक्ता जानते होंगे कि उनके क्या अधिकार हैं। भारत में 24 दिसंबर राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने के लिए 24 दिसंबर, 1986 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 लागू किया गया। भारत में इसकी शुरुआत 2000 से हुई। ये दिन इसी लिये मनाया जाता है ताकि उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा सके और इसके साथ ही अगर वो धोकाधड़ी, कालाबाजारी, घटतौली आदि का शिकार होते हैं तो वो इसकी शिकायत कर सकें।

उपभोक्ताओं के अधिकार

  • जीवन एवं संपत्ति के लिए हानिकारक सामान और सेवाओं की बिक्री के खिला़फ सुरक्षा का अधिकार।
  • खरीदी गई वस्तु की गुणवत्ता, मात्रा, क्षमता, शुद्धता, स्तर और मूल्य, जैसा भी मामला हो, के बारे में जानकारी का अधिकार, ताकि उपभोक्ताओं को गलत व्यापार पद्धतियों से बचाया जा सके।
  • जहां तक संभव हो उचित मूल्यों पर विभिन्न प्रकार के सामान तथा सेवाओं तक पहुंच का आश्वासन।
  • उपभोक्ताओं के हितों पर विचार करने के लिए बनाए गए विभिन्न मंचों पर प्रतिनिधित्व का अधिकार।
  • अनुचित व्यापार पद्धतियों या उपभोक्ताओं के शोषण के विरुद्ध निपटान का अधिकार।
  • सूचना संपन्न उपभोक्ता बनने के लिए ज्ञान और कौशल प्राप्त करने का अधिकार।
  • अपने अधिकार के लिए आवाज़ उठाने का अधिकार।

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किसी व्यापारी द्वारा यदि उपभोक्ता को हानि हुई है, खरीदे गए सामान में यदि कोई खराबी है, किराए पर ली गई सेवाओं मे कमी पाई गई है, विक्रेता ने आपसे प्रदर्शित मूल्य से अधिक मूल्य लिया है तो वो इसकी शिकायत कर सकता है। इसके अलावा अगर किसी कानून का उल्लंघन करते हुए जीवन तथा सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा करने वाला सामान जनता को बेचा जा रहा है तो आप शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

शिकायत कहां की जाए

शिकायत कहां की जाए, यह बात सामान सेवाओं की लागत अथवा मांगी गई क्षतिपूर्ति पर निर्भर करती है। अगर यह राशि 20 लाख रुपये से कम है तो जिला फोरम में शिकायत करें। यदि यह राशि 20 लाख से अधिक लेकिन एक करोड़ से कम है तो राज्य आयोग के सामने और यदि एक करोड़ रूपसे अधिक है तो राष्ट्रीय आयोग के सामने शिकायत दर्ज कराएं। वैबसाइट www.fcamin.nic.in पर सभी पते उपलब्ध हैं।

शिकायत कैसे करें

उपभोक्ता द्वारा अथवा शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत सादे कागज पर की जा सकती है। शिकायत में शिकायतकर्ताओं तथा विपरीत पार्टी के नाम का विवरण तथा पता, शिकायत से संबंधित तथ्य एवं यह सब कब और कहां हुआ आदि का विवरण, शिकायत में उल्लिखित आरोपों के समर्थन में दस्तावेज साथ ही प्रामाणिक एजेंट के हस्ताक्षर होने चाहिए। इस प्रकार की शिकायत दर्ज कराने के लिए किसी वकील की आवश्यकता नही होती। साथ ही इस कार्य पर नाममात्र न्यायालय शुल्क लिया जाता है।

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