स्वास्थ्य सेवा में निवेश के लिए अभिनव तरीकों की जरूरत: रिपोर्ट

Update: 2017-03-26 09:27 GMT
यह जानकारी राष्ट्रीय स्वास्थ्यसेवा मंडल (नैटहेल्थ) द्वारा आयोजित वार्षिक सेमिनार ‘नैटईवी2017’ में जारी की गई नैटहेल्थ-पीडब्ल्यूसी रपट में दी गई है।

नई दिल्ली (आईएएनएस)। पूंजी की उपलब्धता भारतीय स्वास्थ्यसेवा क्षेत्र की वृद्धि में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है। सरकार स्वास्थ्यसेवा पर जीडीपी का महज 1.5 फीसदी खर्च करती है, जो दुनिया में किसी भी देश के मुकाबले सबसे कम है। देश में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भारी अवसंरचनात्मक कमी को पूरा करने के लिए, निजी क्षेत्र से ज्यादा सहभागिता और स्वास्थ्य सेवा में निवेश को बढ़ावा देने की जरूरत है। यह जानकारी राष्ट्रीय स्वास्थ्यसेवा मंडल (नैटहेल्थ) द्वारा आयोजित वार्षिक सेमिनार 'नैटईवी2017' में जारी की गई नैटहेल्थ-पीडब्ल्यूसी रपट में दी गई है।

'भारतीय स्वास्थ्यसेवा में कोष' नाम की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि स्वास्थ्यसेवा क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए कोष के अभिनव तरीकों की जरूरत है, जिसे सरकार द्वारा हाल ही में प्रदर्शित की गई नई स्वास्थ्य नीति 2017 में भी प्रमुखता से दर्शाया गया है। इस नई स्वास्थ्य नीति 2017 का लक्ष्य वैश्विक स्वास्थ्य कवरेज और सभी के लिए वहनीय गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करना है।

इस बारे में हेल्थकेयर पीडब्ल्यूसी इंडिया के पार्टनर और लीडर डॉ. राणा मेहता ने बताया, ''पूंजी की उपलब्धता भारतीय स्वास्थ्यसेवा क्षेत्र की वृद्धि में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है। सरकार स्वास्थ्यसेवा पर जीडीपी का महज 1.5 फीसदी खर्च करती है, जो दुनिया में किसी भी देश के मुकाबले सबसे कम है। राजमार्गो का निर्माण करने, हमारे ऊर्जा संयंत्रों को बढ़ाने और प्रत्येक भारतीय के लिए आवास की जरूरत पूरा करने के साथ ही, स्वास्थ्यसेवा की जरूरतों पर ध्यान देने की भी जरूरत है।''

नैटहेल्थ के महासचिव अंजन बोस ने बताया, ''भले ही, भारत के साथ ही दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के अवसर ज्यादा है, लेकिन इसे सही स्थान में लाने के लिए, सरकार और पूरे स्वास्थ्यसेवा इकोसिस्टम को एक साथ काम करना होगा। नई स्वास्थ्य नीति और पर्याप्त नियामक व्यवस्था जैसी प्रचारात्मक सरकारी नीतियां स्वास्थ्यसेवा क्षेत्र की पहुंच बढ़ाने में सहयोग देंगी।''

यह रिपोर्ट उन चुनौतियों को भी परखती है जिनका सामना स्वास्थ्य क्षेत्र कर रहा है और उन अवसरों की पहचान करती है जिससे इन चुनौतियों से पार पाया जा सकता है। इसमें बताया गया है कि देश में 22 फीसदी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (पीएचसी) और 32 फीसदी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) की कमी है। इसमें अनुमान लगाया गया है कि 50 फीसदी लाभार्थियों को गुणवत्तायुक्त उपचार प्राप्त करने के लिए 100 कि.मी. से ज्यादा का सफर करना पड़ता है।

देश में प्रति 1,000 व्यक्ति पर 2.7 बिस्तर के वैश्विक औसत की तुलना में महज 1.1 बिस्तर ही उपलब्ध हैं। देश में ज्यादातर चिकित्सक नगरीय क्षेत्रों में रहते है, जिसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सकों की उपलब्धता की गंभीर समस्या हो जाती है।

इस रिपोर्ट में भारतीय स्वास्थ्यसेवा में कोष के लिए निधियों की निधि, पेंशन निधि से वित्तीयकरण, आरईआईटी/व्यापारिक ट्रस्ट के निकाय का गठन, द्विवार्षिक निवेश अनुबंधन और दीर्घावधि ऋण उपकरण आदि के गठन का प्रस्ताव दिया गया है।

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