जामिया मिलिया इस्लामिया का प्रेमचंद अभिलेखागार संजोता है लेखकों, कवियों की पहचान 

Update: 2017-07-30 19:29 GMT
जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय।

नई दिल्ली (भाषा)। जामिया मिलिया इस्लामिया ने विश्वविद्यालय परिसर में प्रेमचंद्र अभिलेखागार स्थापित किया है और जहां साहित्य में रुचि रखने वालों, शोध करने वालों एवं अन्य साहित्य प्रेमियों को प्रेमचंद, मंटो, फैज, कुर्तुलएन हैदर, राजिन्दर सिंह बेदी, गालिब, फैज समेत अन्य जाने माने साहित्यकारों से जुडी सम्पूर्ण जानकारी एवं कृतियां उपलब्ध कराई जा रही है। मुंशी प्रेमचंद का सोमवार को जन्मदिन (31 जुलाई 1880) है।

पुराने लेखकों और कवियों की कृतियां, अच्छी तस्वीरें एवं उनसे जुड़ी जानकारी इंटरनेट या किसी एक स्थान पर शायद ही सटीक रूप से मिलती हैं। पर अब यह आसान हो गया है। इसके लिए जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय परिसर में प्रेमचंद्र अभिलेखागार स्थापित किया है।

जामिया के प्रेमचंद आर्काइव्स एंड लिटररी सेंटर की निदेशक प्रोफेसर सबीहा ए जैदी ने बताया कि पुराने लेखकों एवं कवियों की कृतियां एवं मूल कार्य एक स्थान पर उपलब्ध नहीं थे। इसके कारण लोग कई तरह की महत्वपूर्ण जानकारी से वंचित हो जाते हैं और साहित्य के क्षेत्र में काम करने वालों को शोध कार्य में भी समस्या आती थी। उन्होंने कहा कि एपीजे अब्दुल कलाम जब राष्ट्रपति के रूप में आए थे तब जामिया में इस दिशा में प्रेमचंद अभिलेखागार स्थापित करने की पहल हुई थी और आज यह एक वृहद रूप ले चुका है। यहां पुराने लेखकों-कवियों की पहचान को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहा है।

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साल 2004 में जामिया ने मुंशी प्रेमचंद के नाम पर मुंशी प्रेमचंद अभिलेखागार एवं साहित्य केंद्र की स्थापना की जिसमें न सिर्फ इस महान साहित्यकार, बल्कि अलग-अलग भाषाओं के कई नामी साहित्यकारों की रचनाओं को संजोकर रखा गया है।

जैदी ने कहा कि प्रेमचंद की रचनाओं की खूबी यह है कि उसमें उस समय के भारतीय समाज की स्थिति का अहसास होता है। उन्होंने तत्कालीन समाज के कई पहलुओं को अपनी रचनाओं को समेटने का काम किया।

उन्होंने कहा, मुंशी प्रेमचंद ने कई उपन्यासों और कहानियों का लेखन किया। गोदान इनमें से एक प्रमुख रचना है। उनकी इस कालजयी रचना के पिछले साल 80 साल पूर होने पर हमने जश्न मनाया था और इसके माध्यम से सामाजिक स्तर पर एक विमर्श शुरू हुआ।

गौरतलब है कि गोदान मुंशी प्रेमचंद का आखिरी उपन्यास है जिसकी रचना 1936 में हुई थी। आठ अक्तूबर, 1936 को प्रेमचंद का निधन होने के करीब तीन साल बाद उनके इस उपन्यास का उर्दू में अनुवाद हुआ, जिसका प्रकाशन जामिया मिलिया इस्लामिया ने किया।

उन्होंने बताया कि प्रेमचंद्र अभिलेखागार में प्रेमचंद की कृतियों एवं उनके चित्र एवं अन्य सामग्रियों को रखा गया है. इसके अलावा मंटो, फैज, कुर्तुलएन हैदर, राजिन्दर सिंह बेदी, गालिब, फैज समेत अन्य जाने माने साहित्यकारों से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी एवं कृतियां तथा शोध पत्र भी उपलब्ध हैं, कुछ प्रमुख लेखकों के पद्म सम्मान एवं अन्य पुरस्कार भी यहां रखे गए हैं।

जामिया के प्रेमचंद आर्काइव्स एंड लिटररी सेंटर एवं कथा कथन ने प्रेमचंद की 137वीं जयंती के अवसर पर परिसर में प्रेमचंद की कहानियों का नाट्य रुपांतरण कार्यक्रम का आयोजित किया है।

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