एसबीआई को छोड़ सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण हो : अरविंद पनगढिया  

Update: 2018-03-27 16:34 GMT
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढिया  

नयी दिल्ली। नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढिया ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की बढ़ चढ़कर वकालत की है। हालांकि, स्टेट बैंक को उन्होंने इससे अलग रखा है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में सरकार बनाने को लेकर गंभीर राजनीतिक दलों को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव अपने घोषणा पत्र में शामिल करना चाहिए। वर्तमान में कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एक के बाद एक घोटाले और कर्ज में फंसी राशि (एनपीए) ही इनके निजीकरण की पर्याप्त वजह हो सकते हैं।

अरविंद पनगढ़िया ने एक साक्षात्कार में कहा, पूरी शिद्दत से मेरा मानना है कि शायद भारतीय स्टेट बैंक को छोड़कर सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों का निजीकरण राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र का हिस्सा होना चाहिए, जो भी राजनीतिक दल वर्ष 2019 में सरकार बनाने को लेकर अपने आप को गंभीर उम्मीदवार मानते हैं उन्हें अपने घोषणा पत्र में यह प्रस्ताव शामिल करना चाहिए। पनगढ़िया से सरकारी क्षेत्र के बैंकों में हाल में सामने आए घोटालों के बारे में सवाल किया गया था। उनसे पंजाब नेशनल बैंक में सामने आए 13,000 करोड़ रुपए के नीरव मोदी घोटाले के बारे में भी पूछा गया।

जाने माने अर्थशास्त्री ने कहा कि जहां तक दक्षता और उत्पादकता की बात है यह समय की मांग है कि सरकार बड़ी संख्या में बैंकों से अपना नियंत्रण समाप्त कर दे। इस तथ्य के बावजूद कि ज्यादातर जमा पूंजी इन्हीं बैंकों में है, इनके बाजार पूंजीकरण में उतार चढ़ाव होता रहता है।

अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा व्यापार के मामले में भारत पर निशाना साधे जाने के बारे में पूछे जाने पर अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि अमेरिका भारतीय उत्पादों के लिए अपना बाजार बंद करे इस तरह का जोखिम उठाने के बजाय वह भारत के व्यापार को और उदार बनाने की बात कहने से नहीं हिचकिचाएंगे।

नोबेल पुरस्कार विजेता पाल क्रुगमेंस की हाल की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष ने कहा, बड़ी संख्या में बेरोजगारी से बचने के बजाय उत्पादक और बेहतर वेतन वाली नौकरियां पैदा करने के लिये मेरा मानना है कि विनर्मिाण क्षेत्र की वृद्धि जरूरी है। अर्थव्यवस्था की सकल स्थिति के बारे में पनगढ़िया ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था, वृहद आर्थिक मामले में स्थिर बनी रहेगी।

उन्होंने कहा, आखिरी दो तिमाहियों में जो आंकड़े उपलब्ध हैं-भारतीय अर्थव्यवस्था वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में 5.7 प्रतिशत की वृद्धि से आगे बढ़कर दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत और तीसरी तिमाही में 7.2 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ी है। मेरा मानना है कि वृद्धि की गति बढ़ने का क्रम जारी रहेगा।

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इनपुट भाषा

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