दिवालिया एवं दिवालियापन संहिता में संशोधन संबंधी अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी
नई दिल्ली (आईएएनएस)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को दिवाला और दिवालियापन संहिता में बदलाव लाने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी। इससे कर्ज नहीं चुकाने वाली कंपनियों/व्यक्तियों को तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए बोली लगाने से रोका जा सकेगा। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने गुरुवार को इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए, जिसे मंत्रिमंडल द्वारा उनके पास बुधवार को भेजा गया था।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसके बारे में जानकारी देते हुए कहा, "इस अध्यादेश से बड़े कर्जदारों को अपनी ही संपत्ति के लिए बोली लगाने से रोकने में मदद मिलेगी।"
उन्होंने कहा कि हालांकि यह अध्यादेश उन्हें तनावग्रस्त परिसंपत्तियों की बोली लगाने से पूरी तरह रोकता नहीं है, लेकिन उनके लिए ऐसा करना मुश्किल जरूर बना देता है।
आप ऐसा नहीं कह सकते कि मेरा खाता एनपीए (फंसा हुआ कर्ज वाला या गैर निष्पादित परिसंपत्तियां) है, लेकिन मैं बोली लगाऊंगा। यह भारतीय राजनैतिक व्यवस्था के लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य है।अरुण जेटली वित्त मंत्री (उदाहरण देकर समझते हुए)
उन्होंने कहा, "मुझे भी इसकी राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ेगी। आप तनावग्रस्त संपत्ति भी रखेंगे और नीलामी के दौरान उसकी बोली भी लगाना चाहेंगे, ऐसा नहीं होगा।"
उन्होंने कहा कि एक समाधान यह हो सकता है कि एनपीए खाताधारी कम से आगे आकर 1 लाख करोड़ रुपए की परिसंपत्ति (फंसा हुआ कर्ज) का कम से कम 10-15 हजार करोड़ रुपए के ब्याज का भुगतान तो कर दे।
दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) को कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा लागू किया जा रहा है, जो 2016 के दिसंबर से प्रभावी है और समयबद्ध दिवालिया समाधान प्रक्रिया प्रदान करता है।
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प्रस्तावित बदलावों से तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए खरीदारों का चयन करने की प्रक्रिया को सरल बनाने में मदद मिलेगी।
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