16 दिसंबर मामले में पीड़िता के अंतिम बयान साक्ष्यों के तौर पर स्वीकार्य :  सुप्रीम कोर्ट

Update: 2017-05-05 20:20 GMT
सुप्रीम कोर्ट।

नई दिल्ली (भाषा)। सुप्रीम कोर्ट ने आज 16 दिसंबर 2012 के सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड में 23 वर्षीय पीड़िता के अंतिम समय में दिए गए तीन बयानों पर मुहर लगाते हुए कहा कि दस्तखत, हावभाव के जरिए और सिर हिलाकर दिए गए बयान साक्ष्यों के तौर पर स्वीकार्य हैं।

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि बयान दर्ज करते समय सही से ध्यान रखना होगा और अदालत को सावधानी रखनी होगी कि अंतिम समय में पीड़ित द्वारा दिए जा रहे बयान को दर्ज करने वाला व्यक्ति इस बात को सही से संज्ञान में लेने में सक्षम हो कि पीड़़ित भाव-भंगिमाओं या सिर हिलाकर क्या कह रहा है।

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पीठ में न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण भी हैं, पीठ ने कहा कि पीड़िता के अंतिम समय में दिए गए तीनों बयान एक दूसरे के संगत हैं और दूसरे सबूत भी उनकी पुष्टि करते हैं। पीठ के मुताबिक निचली अदालत और दिल्ली उच्च न्यायालय ने पीड़िता के अंतिम समय के बयानों पर सही तरीके से भरोसा किया है।

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