सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर फैसला सुरक्षित रखा

Update: 2017-05-18 15:53 GMT
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार।

नई दिल्ली (भाषा)। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम समुदाय में प्रचलित तीन तलाक प्रथा की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने तीन तलाक पर छह दिन सुनवाई की, जिसमें केंद्र सरकार, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, ऑल इंडिया मुस्लिम वीमेंस पर्सनल लॉ बोर्ड तथा अन्य ने अपना पक्ष रखा। संविधान पीठ में न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति यूयू ललित तथा न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर भी शामिल हैं, पीठ ने 11 मई को सुनवाई शुरू की थी।

पीठ में शामिल सदस्य विभिन्न धर्मिक समुदायों मसलन सिख, ईसाई, पारसी, हिन्दू और मुस्लिम में से हैं। पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह इस बात की जांच करेगी कि क्या मुसलमानों में प्रचलित तीन तलाक की प्रथा धर्म से जुडा मौलिक अधिकार है। साथ ही पीठ ने यह भी कहा कि फिलहाल वह ‘बहुविवाह' और ‘निकाह हलाला' के मुद्दे पर विचार नहीं करेगी।

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पीठ ने कहा कि ‘बहुविवाह' और ‘निकाह हलाला' जैसे मुद्दो को लंबित रखा जाएगा और उन पर बाद में विचार किया जाएगा। निकाह हलाला वह प्रथा है जिसका मकसद तलाक के मामलों में कमी लाना है, इसके तहत एक व्यक्ति तलाक देने के बाद अगर अपनी पत्नी से दोबारा विवाह करना चाहता है तो इसके लिए उस महिला को किसी अन्य पुरुष से निकाह करना होगा, उसे मुकम्मल करना होगा, तलाक लेना होगा और इद्दत की मियाद पूरी करनी होगी।

शीर्ष न्यायालय ने इस प्रश्न पर स्वत: संज्ञान लिया है कि क्या मुस्लिम महिलाएं तलाक अथवा अपने पति के दूसरे विवाह के मामले में लैंगिक असमानता का शिकार हो रही हैं।

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