सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा, दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष स्कूलों की जरुरत 

Update: 2017-12-05 11:58 GMT
सुप्रीम कोर्ट।

नई दिल्ली (भाषा)। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से समग्र शिक्षा के प्रोत्साहन और सुविधा के लिए तंत्र विकसित करने को कहा ताकि दिव्यांग बच्चे मुख्यधारा शिक्षा से दूर नहीं रहें। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से इस बारे में जवाब मांगा कि वह समग्र शिक्षा मुहैया कराकर राज्य में विकलांग (दिव्यांग) अधिकार काननू 2016 के प्रावधानों के तहत कैसे काम करेगा।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड की पीठ ने कहा कि कानून के समानता से संबंधित प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग के सचिव द्वारा एक हलफनामा दायर होना चाहिए।

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इसमें कहा गया कि हलफनामे में उत्तर प्रदेश राज्य में दिव्यांग बच्चों की संख्या और दिव्यांगता की श्रेणियां भी शामिल हों। अतिरिक्त महाधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने शीर्ष अदालत में एक पूर्व आदेश के अनुपालन में हलफनामा दायर किया और कहा कि राज्य सरकार सामान्य स्कूलों में पढ़ने में अक्षम दिव्यांग बच्चों को शिक्षा देने के लिए विशेष शिक्षकों वाले विशेष स्कूल स्थापित करने की इच्छुक है।

उन्होंने कहा कि 16 विशेष स्कूल स्थापित भी हो चुके हैं जो संचालित हो रहे हैं और वहां शिक्षकों की भी नियुक्ति हो गई है।

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