नयी दिल्ली। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत का एक शहर जिसे सिलिकन वेली के नाम से जाना जाता है वहां पीने के पानी की समस्या दिन ब दिन बढ़ रही है, वह दिन करीब है जब वहां एक बूंद पानी पीने को नहीं मिलेगा, वह भारत का केपटाऊन बन जाएगा। विश्व जल दिवस 2018 की यह एक भयावह तस्वीर है।
भविष्य में भीषण जलसंकट के दायरे में आने की आशंका वाले दुनिया के दस शहरों की फेहरिस्त मे शामिल किए गए भारतीय शहर बेंगलुरु में दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन शहर की तरह भविष्य में जलसंकट का खतरा आसन्न है।
पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत संस्था सेंटर फॉर सांइस (सीएसई) की मदद से प्रकाशित पत्रिका डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट में बेंगलुरु को भारत का केपटाउन बताया गया है। इसके अनुसार बेंगलुरु में 79 प्रतिशत जलाशय अनियोजित शहरीकरण और अतिक्रमण की भेंट चढ़ कर अपना वजूद खो चुके हैं। इस स्थिति के लिए शहर के कुल क्षेत्रफल में वर्ष 1973 की तुलना में निर्माणाधीनBक्षेत्र में 77 प्रतिशत इजाफे का अहम योगदान है।
पत्रिका की रिपोर्ट के हवाले से सीएसई द्वारा आज विश्व जल दिवस के मौके पर जारी बयान के मुताबिक बेंगलुरु का भूजल स्तर पिछले दो दशक में 10-12 मीटर से गिरकर 76-91 मीटर तक जा पहुंचा है। साथ ही शहर में बोरवेल की संख्या तीस साल में पांच हजार से बढ़कर 4.5 लाख हो गई है। रिपोर्ट के दावे के अनुसार दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में जलसंकट की भयावहता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि आगामी जून- जुलाई में शहर के सभी नलों में पानी की आपूर्ति खत्म हो जाएगी।
एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2031 तक बेंगलुरु की आबादी 3.5 प्रतिशत सालाना वृद्धि दर के साथ 2.03 करोड़ हो जाएगी। बेंगलुरु की आबादी वर्ष 1991 में 45 लाख थी और क्षेत्रफल 226 वर्गकिलोमीटर था। आज बेंगलुरु 800 वर्गकिलोमीटर में फैल गया है और आबादी 1.35 करोड़ हो गई है।
रिपोर्ट में आसन्न जलसंकट की जद में आने वाले अन्य शहरों में बीजिंग (चीन), मेक्सिको सिटी (मेक्सिको), नैरोबी (केन्या), कराची (पाकिस्तान), काबुल (अफगानिस्तान) और इस्तांबुल (तुर्की) शामिल किए गए हैं। इन शहरों में पानी की उपलब्धता कभी भी नगण्य हो सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक अगर इन शहरों में जलसंसाधनों का समुचित वितरण और उपभोग सुनिश्चित नहीं किया गया तो केपटाउन की तरह अन्य शहरों में भी यह स्थिति कभी भी आ सकती है।
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इनपुट भाषा
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