एनजीटी ने श्री श्री रवि शंकर को लगाई फटकार, कहा- आपको जिम्‍मेदारी का कोई एहसास नहीं

Update: 2017-04-20 14:02 GMT
श्री श्री रविशंकर।

नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी पर्यावरण अदालत ने आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर के खिलाफ नाराज़गी जताते हुए पूछा है कि 'क्या आपकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती। आपको लगता है कि आप जो मन में आया बोल सकते हैं?'

बुधवार (19 अप्रैल) को रवि शंकर ने कहा था कि अगर पिछले साल दिल्‍ली में यमुना तट पर उनकी संस्‍था द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सांस्‍कृतिक कार्यक्रम से पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान पहुंचा है, तो इसकी जिम्‍मेदारी सरकार और अदालत की है, क्‍योंकि उन्‍होंने कार्यक्रम की इजाजत दी थी। एक फेसबुक पोस्‍ट में 60 वर्षीय रवि शंकर ने कहा था, ”अगर, कुछ भी, कैसा भी जुर्माना लगाया जाना है तो यह केंद्र और राज्‍य सरकारों तथा खुद एनजीटी पर लगाया जाना चाहिए, इजाजत देने के लिए। अगर यमुना इतनी ही निर्मल और पवित्र थी तो उन्‍हें वर्ल्‍ड कल्‍चर फेस्टिवल को रोकना चाहिए था।”

श्री श्री और आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन ने यमुना के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाने के सभी आरोपों से इनकार किया है। पिछले साल पर्यावरणविदों ने वर्ल्‍ड कल्‍चर फेस्‍ट‍िवल को इजाजत न देने को कहा थ, मगर एनजीटी ने कहा कि अब कार्यक्रम को रद्द करने में काफी देर हो चुकी है। एनजीटी ने आयोजकों पर 5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। उस वक्‍त रवि शंकर ने कहा था कि उन्‍हें ऐसे नयनाभिरामी कार्यक्रम के लिए अवार्ड दिया जाना चाहिए जिसमें दुनिया की सबसे गंदी नदियों में से एक के तट पर हर जगह से लोग आए। इस कार्यक्रम की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हुई थी।

विशेषज्ञों की एक टीम ने एनजीटी के सामने कहा है कि आर्ट ऑफ लिविंग के उस कार्यक्रम के चलते नदी का तट पूरी तरह नष्‍ट हो गया है। कार्यक्रम में 7 एकड़ का स्‍टेज लगाया था और 1,000 एकड़ में परिसर फैला था। विशेषज्ञों के अनुसार, नुकसान की भरपाई करने में कम से कम 10 साल और 42 करोड़ रुपए लगेंगे। वहीं श्री श्री रविशंकर ने कहा कि उन्होंने पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है।

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