कन्नौज: पांच फीसदी कोविड-19 संक्रमितों का इलाज करने में 'ऑक्सीजन' मांग रहा स्वास्थ्य महकमा

उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में पिछले एक हफ्ते में कुल कोविड संक्रमितों के पांच प्रतिशत मरीज ही अस्पताल में भर्ती हुए हैं, लेकिन फिर भी यहां पर ऑक्सीजन की कमी से लोगों की जान जा रही है।

Update: 2021-04-29 09:37 GMT

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: गाँव कनेक्शन)

कन्नौज (उत्तर प्रदेश)। कोरोना से ग्रसित होने पर अक्सर होम आइसोलेशन में जाने की बात विशेषज्ञों व डॉक्टरों की ओर से कही जाती है। कुछ दवाइयों व कोविड-19 की गाइड लाइन का पालन कर ज्यादातर मरीज संक्रमण को हरा भी रहे हैं, लेकिन गंभीर मरीज ही सरकारी अस्पताल पहुंच रहे हैं। इनकी संख्या पांच फीसदी भी नहीं है, लेकिन फिर संक्रमितों का इलाज करने में स्वास्थ्य विभाग 'ऑक्सीजन' मांग रहा है।

यूपी के कन्नौज में स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट पर अगर गौर किया जाए तो 28 अप्रैल को जिले में 262 नए कोरोना संक्रमित मिले हैं। सीएमओ डॉ. कृष्ण स्वरूप के मुताबिक कन्नौज में कुल संक्रमितों की संख्या 6707 पहुंच गई है। इसमें 279 स्वस्थ्य होने के बाद अब तक कुल स्वस्थ्य होने वालों का आंकड़ा 4667 पहुंच गया है। अब जिले में एक्टिव केस की संख्या 1964 है।

सीएमओ के मुताबिक जिले में कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या 76 है। दूसरी ओर खास बात यह है कि कोरोना की जांच के बाद जब कोविड-19 की पुष्टि होती है तो ज्यादातर संक्रमित घर पर ही आइसोलेट हो जाते हैं। डॉक्टर भी बुखार या संक्रमित होने पर होमआइसोलेशन में रहकर दवा खाने और कोविड-19 नियमों का पालन करने को कहते हैं। जनपद में ज्यादातर संक्रमित होमआइसोलेशन में ही हैं। बमुश्किल इन दिनों पांच फीसदी ही कोरोना वायरस से ग्रसित राजकीय मेडिकल कॉलेज तिर्वा यानि एल टू हॉस्पिटल में पहुंच रहे हैं, उसके बाद भी तमाम तरीके की समस्याएं सामने आ रही हैं।

कन्नौज के अस्पताल में भर्ती महिला मरीज। फोटो: अजय मिश्रा

कन्नौज शहर के निवासी आशीष मिश्र (45 वर्ष) कोरोना पॉजिटिव होने पर चार दिन पहले राजकीय मेडिकल कॉलेज तिर्वा में भर्ती हुए और एक घंटे में उनकी मौत हो गई। भर्ती होने के बाद उन्होंने अपने रिश्तेदार अनूप दुबे को फोन किया, फोन पर उन्होंने बताया था कि यहां वार्ड ब्व्याय और डॉक्टर कोई नहीं आया। न ही ऑक्सीजन लगाई गई, जरा फोन करके पूछिये।

अनूप दुबे (48 वर्ष) ने गांव कनेक्शन को बताया, "आशीष मिश्र को भर्ती कराने के बाद वह घर से कपड़े लेने गए थे, तभी फोन पर बात हुई। जब दोबारा मेडिकल कॉलेज पहुंचा तो आशीष नहीं मिले। बाद में डॉक्टर ने बताया कि आशीष की कुछ देर पहले मौत हो चुकी, शव मोर्चरी में रखा है।"

पीएसएम पीजी कॉलेज कन्नौज की प्राचार्य डॉ. शशिप्रभा अग्निहोत्री (50 वर्ष) बताती हैं कि उनके 37 साल के बेटे प्रखर अग्निहोत्री की 21 अप्रैल को राजकीय मेडिकल कॉलेज तिर्वा के कोविड वार्ड में मौत हो गई थी। इसी वार्ड में 20 अप्रैल को ऑक्सीजन की कमी से चार लोगों की मौत हुई थी। प्राचार्य अग्निहोत्री आगे बताती हैं, "बेटे की सांस रुक रही थी, बाद में मौत हो गई। हमने सीएम योगी आदित्यनाथ से इसकी शिकायत की है।"

सीएमओ डॉ. कृष्ण स्वरूप भी ऑक्सीजन की कमी से इंकार कर चुके हैं, इसके बाद भी यहां कोरोना संक्रमितों की मौत का सिलसिला जारी है।

सांसद सुब्रत पाठक यहां की व्यवस्थाएं दुरुस्त होने की बात कहते हैं। एक सप्ताह के अंतराल में वह दो बार राजकीय मेडिकल कॉलेज पहुंच चुके हैं और ऑक्सीजन की उपलब्धता भी दुरुस्त होने की बात कही है।

वहीं अगर पूरे प्रदेश की बात करें तो कोरोना की दूसरी लहर के बीच उत्तर प्रदेश में रोजाना मामलों में बढ़ोतरी दर्ज हो रही है। 29 अप्रैल को प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों में 29,751 नए मामले और 265 मौतें दर्ज की हैं। राज्य में अब तक वायरस से 12,208 लोगों की मौत हो चुकी है।

जनपद के कोरोना संक्रमितों का लेखा जोखा

तारीख

 एक्टिव केस

होम आइसोलेशन

अस्पताल में

अन्य जिलों में भर्ती

21 अप्रैल136889876187
22 अपैल1637106483221
23 अप्रैल1847127684277
24 अप्रैल1966140885354
25 अप्रैल2027148688392
26 अप्रैल1942154287398
27 अप्रैल1985145095397

कोविड अस्पताल में गंदगी की भरमार

कन्नौज में राजकीय मेडिकल कॉलेज तिर्वा में बने एल टू हॉस्पिटल में कोरोना संक्रमितों का इलाज किस तरह से हो रहा है, यह वायरल हो रही तस्वीरों से पता चल जाएगा। सोशल मीडिया पर मेडिकल कॉलेज की वायरल तस्वीरों में बेड से लेकर बाथरुम तक में गंदगी की भरमार दिख रहा है। न तो बेड पर बिछाने वाले चादरें हैं और न ही आढ़ने के लिए कोई कपड़ा नसीब होता है। एक फोटो में बिना चादर के बेड पर लेटी महिला, नजर आ रही है तो उसके आसपास काफी सामान बिखरा पड़ा है। प्राचार्य डॉ. शशिप्रभा अग्निहोत्री ने भी गंदगी की शिकायत की है, उन्होंने कहा "मेडिकल वार्ड में गंदगी बहुत रहती है। जैसे यहां कभी सफाई नहीं होती।"

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