छठ को राष्ट्रीय पर्व घोषित करने की मांग 

Update: 2017-10-24 20:35 GMT
छठ पूजा का पहला दिन नहाए खाए से शुरू हो गया है। पटना में पूजा करते हुए श्रद्धालु।

पटना (आईएएनएस)। सूर्य उपासना और लोक आस्था का महापर्व छठ अब न केवल बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड में ही मनाया जाना वाला पर्व है, बल्कि यह अब दिल्ली, मुंबई समेत देश के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ विदेशों में भी मनाया जाने लगा है। यही कारण है कि अब आस्था, शुद्धता और स्वच्छता के प्रतीक इस महापर्व को राष्ट्रीय पर्व घोषित करने की मांग जोर पकड़ने लगी है।

सामाजिक संगठन हो या राजनीतिक दल, बुद्धिजीवी हों या आम नागरिक, सभी अब इस पर्व को राष्ट्रीय पर्व घोषित करने की मांग कर रहे हैं। मान्यता भी है कि देश में इस पर्व से प्राचीन कोई पर्व नहीं है। इस पर्व के जरिए न केवल लोगों में स्वच्छता का संदेश दिया जाता है, बल्कि इस पर्व में नदियों व जलाशयों को निर्मल बनाने की पहल करने की भी कोशिश करने का संदेश मिलता है।

लेखक, प्रख्यात शिक्षाविद् और स्वयंसेवी संस्था 'मिथिलालोक फाउंडेशन' के अध्यक्ष डॉ़ बीरबल झा ने कहा, "छठ पर्यावरण संरक्षण, रोग-निवारण और अनुशासन का पर्व है और इसका उल्लेख आदि ग्रंथ ऋग्वेद में भी मिलता है। छठ पर नदी-तालाब, पोखरा आदि जलाशयों की सफाई की जाती है। केंद्र सरकार की गंगा सफाई योजना का जो मकसद है, वह इस पर्व के जरिए लोगों में देखने को मिलता है।"

उन्होंने कहा कि आज इस पर्व की महत्वता को देशभर में पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय पर्व का दर्जा दिया जाना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि मिथिलालोक फाउंडेशन की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संबंध में एक पत्र भेजकर इसकी मांग भी की गई है।

पत्र में कहा गया है, "आज स्वच्छ भारत अभियान और नमामि गंगे योजना केंद्र सरकार की प्राथमिकता में है। पिछले तीन साल से सरकार स्वच्छता अभियान और गंगा की सफाई को लेकर तेज मुहिम चला रही है। इन दोनों कार्यक्रमों के लोक-आस्था के पर्व छठ से सैद्धांतिक व व्यावहारिक ताल्लुकात हैं।"

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सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल जनता दल (युनाइटेड) का कहना है कि पार्टी इसकी मांग पिछले काफी वर्षो से करती आ रही है। जद (यू) के प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग आज पूरे देश के निर्माण में हाथ बंटा रहे हैं, यही कारण है कि इन दोनों राज्यों के लोग देश के सभी क्षेत्रों में रहते हैं।

उन्होंने कहा कि यही कारण है कि आज यह पर्व देश के करीब सभी हिस्सों में ही नहीं विदेशों तक में मनाया जा रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार को इस लोक आस्था के पर्व छठ को राष्ट्रीय पर्व घोषित करने के लिए पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि इस पर्व को पर्यावरण की दृष्टि से देखा जाए तो आज के समय में इस पर्व की महत्ता न केवल धार्मिक तौर पर, बल्कि पर्यावरण के तौर पर भी बढ़ जाती है।

पटना कॉलेज के प्राचार्य रहे प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी का भी मानना है कि छठ को राष्ट्रीय पर्व घोषित करने की पहल केंद्र सरकार को करनी चाहिए। इस पर्व का न केवल ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व है, बल्कि इस पर्व में महिलाओं और बेटियों को खास तरजीह दी गई है।

उन्होंने कहा, "छठ पूजा के गीतों में बेटियों का स्वागत करते हुए ईश्वर से उनके मंगल कामना की गुहार लगाई जाती है। 'रुनकी-झुनकी बेटी मांगी ला, पढ़ल पंडितवा दामाद हे छठ मइया' गीत के जरिए छठी मइया से सुंदर, सुशील बेटी और विद्वान दामाद की कामना की गई है।"

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पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता मणिभूषण सेंगर का भी कहना है कि आज छठ पर्व के प्रति बढ़ती लोगों की आस्था और भावनात्मक लगाव के कारण यह जरूरी है कि अपनी परंपरा को कायम रखने के लिए इस पर्व को राष्ट्रीय पर्व घोषित किया जाए। वे कहते हैं कि आज इस पर्व के जरिए लोग अपनी मिट्टी से जुड़ रहे हैं और संयुक्त परिवार के महत्व को समझ पा रहे हैं।

बहरहाल, चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व छठ को राष्ट्रीय पर्व घोषित करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। अब देखना है कि लोगों की आस्था से जुड़े इस पर्व को सरकार कब राष्ट्रीय पर्व घोषित करती है।

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