पहले से नुकसान झेल रहे मुर्गी पालकों तक नहीं पहुंच पा रहा पोल्ट्री फीड

Update: 2020-03-26 11:18 GMT

लखनऊ। "पहले अफवाहों के चलते चिकन मार्केट पूरी तरह से गिर गया अब बंदी के कारण मुर्गियों का दाना नहीं आ पा रहा है। अभी एक-दो दिनों का दाना है तक तो किसी तरह से चला लेंगे अगर ज्यादा दिनों तक दाना नहीं आया तो मुर्गियां मरने लगेंगी, "उत्तर प्रदेश के बहराइच ज़िले में 16 हज़ार लेयर मुर्गियों का फार्म चलाने वाले गुलाम मोहम्मद कहते हैं।

पिछले दो महीनों में कोरोना वायरस के चलते पोल्ट्री व्यवसाय सबसे खराब दौर में चल रहा है। अब देश भर में लॉक डाउन से मुर्गी पालकों के सामने अब फीड की समस्या आ गई है। पोल्ट्री फीड मुर्गी पालकों तक पहुंच ही नहीं पा रहा है।

गुलाम मोहम्मद आगे बताते हैं, "कंपनी को फीड के लिए चार लाख 98 हज़ार दिए तीन-चार दिन हो गए हैं, अब वो लोग कह रहे हैं कि गाड़ी नहीं आने दे रहे हैं। इसलिए हम नहीं आ पा रहे हैं। बनारस और मुजफ्फरपुर से यहां फीड आता है। वहां पर उन्हें निकलने ही नहीं दिया जा रहा है, इसलिए नहीं पहुंच पा रहे हैं।"


फीड कम मिलने से अंडा उत्पादन पर भी असर पड़ा है। पहले गुलाम मोहम्मद के यहां हर दिन 13 हज़ार अंडों का उत्पादन होता था, अब घट कर दस-बारह हजार तक पहुंच गया है।

फीड न मिल पाने की समस्या गुलाम अली अकेले की नहीं है। गुलाम अली के पोल्ट्री फार्म से लगभग 981 किमी दूर पंजाब कर जालंधर में भी यही समस्या आ गई है।

जालंधर फीड्स प्राइवेट लिमिटेड, कई जिलों के मुर्गी पालकों को पोल्ट्री फीड सप्लाई करता है। हर दिन 100 टन तक प्रोडक्शन करने वाली ये कंपनी घटकर 10-20 टन प्रोडक्शन प्रति दिन हो गई है।

फीड प्रोडक्शन कंपनी के मैनेजर समीर अग्रवाल बताते हैं, "एक तो पहले से ही लोगों को वहम हो गया कि चिकन से कोरोना हो जाता है, अब जाकर लोग समझने लगे तो शहर ही बंद हो गए जबकि सरकार ने भी कहा है कि फीड की गाड़ियां जा सकती हैं, लेकिन पुलिस वाले रोक रहे हैं। हमें भी पता है कि बाहर निकलना सुरक्षित नहीं है, लेकिन मुर्गियों का फीड तो बाहर जा सकता है।"

लॉक डाउन से दूसरे जिलों और प्रदेशों से गाड़ियां नहीं आ पा रही हैं।

पोल्ट्री फीड में बाजरा, मक्का, सोयाबीन खली, सरसों खली, पत्थर और दवाएं शामिल हैं और लेकिन बंदी की वजह से बाजार में कुछ भी उपलब्ध नहीं है। पंजाब में बाजरा और मक्का उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान से, पत्थर हिमाचल प्रदेश से आता है।

एक अनुमान के अनुसार, भारतीय पोल्ट्री और फीड सेक्टर को जनवरी के मध्य से फरवरी के बीच 1750 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है।

यूपी में हर रोज एक करोड़ से सवा करोड़ अंडे बाहर से आते हैं। लेकिन अब बाहर से अंडे भी नहीं पा रहे हैं, इसका फायदा यूपी के किसानों को हुआ है। गुलाम मोहम्मद कहते हैं, "हमारे यहां जितना अंडा उत्पादन होता है, सब यहीं बहराइच में बिक जाते हैं, क्योंकि बाहर से अण्डा भी आना बंद हो गया है।"

पांच हजार से ज्यादा पोल्ट्री कारोबारियों के संगठन उत्तर प्रदेश पोल्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष अली अकबर कहते हैं, "पहले अफवाहों के चलते नुकसान हुआ, अब लॉक डाउन, ऐसा नहीं है कि हम इसका समर्थन नहीं करते हैं। लेकिन अगर मुर्गियों को फीड ही नहीं मिला तो मरने लगेंगी, तब सोचिए कितना नुकसान होगा और बीमारियां बढ़ेंगी।"


"लंबे समय से पोल्ट्री व्यवसाय घाटे में ही चल रहा है, पिछले साल पोल्ट्री फीड मंहगा था, साल के आखिर में कुछ फायदा हुआ, लेकिन इस साल के शुरुआत में कुछ दिन सही चलने के बाद कोरोना के चलते व्यापार प्रभावित हुआ है, "अली अकबर ने आगे कहा।

उत्तरा फीड प्राइवेट लिमिटेड बनारस और फूलपुर में पोल्ट्री फीड का उत्पादन करता है, जहां से पूरे प्रदेश में पोल्ट्री फीड सप्लाई होता है। यहां के सेल्स मैनेजर सरयू पाठक बताते हैं, "हमारे यहां माल तैयार रखा है, जबकि सरकार की तरफ से आदेश है कि फीड की सप्लाई हो सकती है, लेकिन कोई ड्राइवर जाने को ही नहीं तैयार है। ड्राइवर डरें हुए हैं कि पुलिस पकड़ लेगी। अभी देखिए कितने दिनों तक ऐसे ही चलता है।"

"अगर समय पर फीड न पहुंचा तो मुर्गियां मरने लगेंगी, अभी जिनके कुछ फीड बचा है, वो थोड़ा-थोड़ा खिला रहे हैं, जिससे कुछ दिन तक चल जाए, लेकिन खत्म हो गया तो परेशानी हो जाएगी।, "सरयू पाठक ने आगे बताया।

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