बुंदेलखंड की दाल को विश्व पहचान दिलाने की पहल, बांदा में आयोजित हुआ अरहर सम्मेलन

Update: 2020-02-12 07:37 GMT
अरहर सम्मेलन में शामिल हुए देशभर के पद्मश्री किसान और कृषि विशेषज्ञ

कालिंजर (बांदा)। बुंदेलखंड में दलहन और तिलहन की खेती करने वाले किसानों को न केवल खेती की नई तकनीक की जानकारी मिलेगी, साथ ही उन्हें बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा। किसानों को खेती की जानकारी से लेकर बाजार उपलब्ध कराने के लिए बांदा में आयोजित अरहर सम्मेलन में देशभर के कृषि विशेषज्ञ शामिल हुए।

बुंदेलखंड में ये पहला मौका था जब एक जगह पर एक साथ पद्मश्री किसान और कृषि विशेषज्ञ इकट्ठा हुए थे। कार्यक्रम में बुलंदशहर, यूपी के पद्मश्री डॉ भारत भूषण त्यागी, मध्य प्रदेश के सतना के पद्मश्री बाबूलाल दहिया, उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के किसान पद्मश्री रामसरन वर्मा, बिहार के मुजफ्फरपुर की पद्मश्री राजकुमारी देवी 'किसान चाची', हरियाणा के सोनीपत के पद्मश्री कंवल सिंह चौहान ने अपने अनुभवों को किसानों से साझा किया।


इस मौके पर जिलाधिकारी बांदा हीरालाल ने ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा, "भारत जैसे कृषि प्रधान देश की तरक्की तभी हो सकती है जब बांदा की तरक्की होगी। यहां की अरहर, चना, मटर, नरेनी का गुड़ देशभर में सबसे अच्छा, स्वाटिष्ट और स्वास्थवर्धक है। हमें अपने चने की ब्रांडिग करनी चाहिए, जिससे देशभर में हमारे क्षेत्र की फसलों की मांग बढ़ेगी। जिससे ज्यादा मांग के चलते किसानों की आय में वृद्धि होगी।"

बुंदेलखंड में दलहन (अरहर, चना, मसूर) और तिलहन की खेती के लिए जाना जाता है, लेकिन बाजार के अभाव और खेती की सही जानकारी न होने पर किसानों को फायदा नहीं हो पता। इसीलिए विश्व दलहन दिवस पर बांदा के कालिंजर में अरहर सम्मेलन का आयोजन हुआ।

जिला प्रशासन की तरफ से आयोजित अरहर सम्मेलन में खाद्य प्रसंस्करण और रिटेल चेन कंपनियों वालमार्ट इंडिया, आर्गेनिक इंडिया, आइटीसी और स्पेंसर ने किसानों को प्रोसेसिंग यूनिट लगाने में मदद करने का आश्वासन दिया। कहा, किसान बाजार की मांग के अनुसार हमसे उन्नत बीज लें। फसल की प्रोसेसिंग कर पैकिंग करें। हम प्रचार-प्रसार कर बेचेंगे।


बुंदेलखंड में इस वर्ष कुल 1,38,687 हेक्टेयर में दलहन की खेती हुई। इसमें अरहर का रकबा 17753 हेक्टेयर, मसूर का 29824 और चना 91110 हेक्टेयर में बोया गया। सिंचाई सुविधा उपलब्ध न होने पर भी यहां पर दलहन की अच्छी पैदावार होती है।

किसान जुझार सिंह यादव बताते हैं, "बहुत साल से अरहर की खेती कर रहे हैं, लेकिन कब कौन सी बीमारी लग जाती है पता ही नहीं चलता है, फूल खूब लगते हैं, लेकिन फलियां नहीं लगती है। यहां पर बहुत सारी जानकारियां मिली हैं।"

ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के मुताबिक भारत में करीब 6000 दाल मिलें हैं, जिनमें चना, अरहर, उड़द, मसूर, मटर, मूंग आदि की दाल बनाई जाती है। एक मिल रोजाना करीब 10 टन दाल का उत्पादन करती है।

जिलाधिकारी ने आगे कहा, "किसानी में आने वाली सभी रुकावटों और परेशानियों का प्रशासन द्वारा निदान किया जाएगा। हम किसानों को समय-समय पर ऐसी ही जानकारियां देते रहेंगे।"


वालमार्ट इंडिया के डीजीएम डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि यहां किसान मेहनत तो बहुत करता है, पर उसे बाजार नहीं मिल पा रही है। इससे वह ऊंचा मुकाम नहीं हासिल कर पा रहा है। वालमार्ट इंडिया यहां किसानों के साथ कांट्रेक्ट खेती करेगी। खेत उनका होगा और कार्य व प्रोसेसिंग कंपनी का होगा। इसमें किसानों को बेहतर मूल्य व फायदा दिया जाएगा। इसके लिए वह डीएम से बातचीत भी कर रहे हैं। सहमति भी मिल गई है।

कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट की मानें तो फसल सीजन 2018-19 (जुलाई से जून) में दालों की कुल पैदावार 234 लाख टन (2340 कुंतल) हुई थी। जबकि खपत 240 लाख टन से ज्यादा रही। मौजूदा खरीफ सीजन की बात करें तो सरकार ने अनुमान जताया है कि वर्ष 2019-20 में दाल की पैदावार 82.2 लाख टन (822 कुंतल) होगी ये वर्ष 2018 में हुई 92.2 लाख टन (922 कुंतल) की अपेक्षा कम है।

बुलंदशहर के प्रगतिशील किसान पद्मश्री भूषण त्यागी ने जैविक और परंपरागत तरीके से समूह आधारित खेती, प्रोसेसिंग यूनिट और पैकिंग में बेचने से लाभ का उदाहरण दिया।

बिहार के मुजफ्फरपुर की पद्मश्री राजकुमारी उर्फ किसान चाची ने कहा, "दाल सेहत दुरुस्त रखती है, परहेज में डॉक्टर कई चीजें खाने से रोकते हैं, पर दाल खाने से मना नहीं करते हैं। यहां की दाल को ब्रांड जैसी पहचान देनी चाहिए। मैंने साइकिल पर घूम-घूम कर महिला समूह बनाया, आज वो महिलाएं खुद के बनाए उत्पाद बेचती हैं, यहां भी ऐसे ही करना चाहिए।"

दाल प्रोसेसिंग यूनिट की हुई शुरुआत

अरहर सम्मेलन के साथ ही नरैनी में स्वयं सहायता समूह द्वारा संचालित ग्रामीण उद्ममिता परियोजना के तहत दाल प्रोसेसिंग यूनिट की शुरूआत भी गई है। 

किसान और कृषि विशेषज्ञ हुए सम्मानित, मिली जानकारी

सम्मेलन में 65 से अधिक किसानों और कृषि विशेषज्ञों को सम्मानित भी किया गया। सम्मेलन परिसर में खेती-किसानी, बागवानी, पशुपालन, सहित कई विभागों के स्टॉल पर भी किसानों को जानकारी दी गईं।



Similar News