सवर्णों को आरक्षण: लोकसभा में संविधान संशोधन बिल पास, PM ने कहा- ऐतिहासिक पल
संविधान संशोधन बिल पेश करने से पहले बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी कर सदन में मौजूद रहने को कहा है।
लखनऊ। मोदी सरकार मंगलवार को लोकसभा में गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के लिए संविधान संशोधन बिल पेश किया। सरकार ने सोमवार को कैबिनेट मीटिंग में सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया था। बता दें, संविधान के मुताबिक आरक्षण 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकता।
बिल पास होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समर्थन करने वाले सभी सांसदों का धन्यवाद करते हुए कहा कि ''आरक्षण बिल पास होना देश के इतिहास में ऐतिहासिक पल है। हम 'सबका साथ सबका विकास' की नीति पर पूरी तरह कटिबद्ध हैं। यह जाति, संप्रदाय से ऊपर उठकर गरीब के लिए बेहतर करने का प्रयास है। विधेयक का समर्थन करने वाले सभी सांसदों को धन्यवाद।''
सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने सदन में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया और इस पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, ''प्रधानमंत्री ने कहा था कि उनकी सरकार सबका साथ-सबका विकास के एजेंडे पर काम करेगी। जैसा कहा गया वैसा किया गया।''
थावर चंद गहलोत ने कहा ''भारत सरकार और राज्य सरकार की सेवाओं में 10 फीसदी आरक्षण देने का अधिकार होगा। इसके अलावा निजी क्षेत्र की नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। गहलोत ने कहा कि पहले भी इस तरह का आरक्षण देने की कोशिश की गई थी लेकिन संविधान में संशोधन के बगैर ऐसा नहीं किया जा सकता।''
कांग्रेस के प्रो केवी थॉमस ने चर्चा के दौरान कहा, हम बिल के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन ये बिल बहुत अहम है इसे जल्दबाजी में न लाया जाए। इसे जेपीसी में भेजा जाए।
वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि ''यह बिल सबका साथ-सबका विकास की भावना को मजबूत करेगा। यह समानता की ओर एक कदम है। राज्यों ने भी आरक्षण देने की कोशिश की लेकिन वह सुप्रीम कोर्ट में जाकर रद्द हो गया। इसके लिए सही रास्ता नहीं अपनाया गया।'' उन्होंने विपक्ष से कहा, ''शिकायत करके बिल का समर्थन की जरूरत नहीं है। अगर समर्थन करना ही है तो खुले दिल से इस बिल का समर्थन करें।'' जेटली ने कहा कि आज कांग्रेस और उसके साथियों की परीक्षा है।
FM Arun Jaitley in Lok Sabha: This reservation bill ensures 'sabka saath, sabka vikas'. It is a move for equality, will enable social upliftment. pic.twitter.com/Eb81Yk840K
— ANI (@ANI) January 8, 2019
लोकसभा में AIADMK सांसद एम थंबीदुरई ने कहा, ''आरक्षण सामाजिक न्याय के लिए दिया जाता है, मुझे समझ नहीं आ रहा कि आर्थिक आधार पर आरक्षण की जरूरत क्या है। पिछड़ों के उत्थान के लिए आरक्षण नीति लाई गई थी, लेकिन यह सरकार आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण देने जा रही, जबकि आपकी सरकार ने गरीबों के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। क्या वो सारी योजनाएं फेल हो गईं?'' थंबीदुरई ने कहा, ''आपका ये बिल सुप्रीम कोर्ट में जाकर फंस जाएगा। हां ये चुनाव में फायदेमंद जरूर हो सकता है।''
M Thambidurai, AIADMK in Lok Sabha: Have govt schemes for the poor failed? There are enough schemes. This reservation bill which you are bringing will be struck down by the Supreme Court pic.twitter.com/zEfmY7EXxW
— ANI (@ANI) January 8, 2019
टीएमसी के सुदीप बंधोपाध्याय ने कहा, ''महिलाओं के आरक्षण बिल को क्यों नहीं लाया गया, क्या वह जरूरी नहीं था। यह बिल सिर्फ रोजगार के लिए नहीं है यह युवाओं के बीच झूठी उम्मीदें जगाएगा और झूठे सपने दिखाएगा।'' सुदीप बंधोपाध्याय ने कहा, ''हमारी पार्टी इस बिल का समर्थन करते हुए उम्मीद करती है कि युवाओं को रोजगार देने का काम होगा।''
Sudip Bandyopadhyay, TMC in Lok Sabha: Why does the Government not take up the women reservation bill with the same priority as this quota bill? This bill is not only about jobs, but also about misleading the youth with false hopes and fake dreams pic.twitter.com/7BKnXtSerH
— ANI (@ANI) January 8, 2019
संविधान संशोधन बिल पेश करने से पहले बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी कर सदन में मौजूद रहने को कहा था। गौरतलब है कि शीतकालीन सत्र का आज आखिरी दिन है, ऐसे में लोकसभा में पास होने के बाद इस बिल को राज्यसभा से भी पास करना होगा। इसके लिए सरकार ने राज्यसभा का सत्र भी एक दिन यानी 9 जनवरी तक बढ़ा दिया है। शीतकालीन सत्र 11 दिसंबर को शूरू हुआ था और 8 जनवरी तक चलना था।
कांग्रेस हमेशा आर्थिक तौर से गरीबों के आरक्षण व उत्थान की समर्थक व पक्षधर रही है।
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) January 7, 2019
दलित,आदिवासियों व पिछड़ों के संवैधानिक आरक्षण से कोई छेड़छाड़ न हो तथा समाज के गरीब लोग,वो चाहे किसी भी जाति या समुदाय से हों,उन्हें भी शिक्षा व रोजगार का मौका मिले। pic.twitter.com/PaR6WKwTTG
कांग्रेस ने भी इस फैसले का समर्थन किया है। हालांकि इसके साथ ही फैसले के वक्त को लेकर सवाल भी खड़े किए हैं। कांग्रेस पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''कांग्रेस का मानना है कि दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के संवैधानिक आरक्षण से कोई छेड़छाड़ किए बगैर समाज के सभी गरीब लोगों को भी शिक्षा व रोजगार का मौका मिले। उन्होंने कहा कि चार साल आठ माह बीत जाने के बाद केंद्र सरकार को अब देश के गरीबों की याद आई है। ऐसा क्यों, यह अपने आप सरकार की नीयत पर प्रश्न खड़ा करता है।''
सुप्रीम कोर्ट में मिल सकती है चुनौती
लोकसभा और राज्यसभा से हरी झंडी मिलने के बाद भी इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिल सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने अभी आरक्षण के लिए 50 फीसदी की सीमा तय कर रखी है। ऐसे में अगर आरक्षण का आंकड़ा 50 फीसदी से बढ़ता है तो कानूनी तौर पर इसे चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। पहले भी ऐसे कई मामलों को कोर्ट में चुनौती मिल चुकी है। इस लिए अभी सवर्णों को आरक्षण मिलने के इस फैसले के लागू होने में काफी वक्त लग सकता है।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आए इस फैसले को मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। फैसले के मुताबिक, सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। इससे पहले साल 2018 में सरकार ने अनुसूचित जाति-जनजाति (SC/ST) एक्ट को लागू किया था। इसके खिलाफ सवर्ण समुदाय के लोगों ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन भी किया था। राजनीतिक विश्लेषकों का मनना था कि सवर्णों की नाराजगी की वजह से ही हिंदी पट्टी के तीन प्रमुख राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार हुई। ऐसे में 10 फीसदी आरक्षण के फैसले को बीजेपी का सवर्णों को साधने का कदम भी माना जा रहा है।