गणतंत्र दिवस परेड की हर एक झांकी में दिखी महात्मा गांधी के जीवन की झलक

Update: 2019-01-26 09:02 GMT

नई दिल्ली। इस गणतंत्र दिवस पर लगातार दूसरी बार भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को झांकी निकालने का मौका मिला। गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर कई सारी झाकियां देखने को मिलीं। समारोह की थीम महात्मा गांधी पर आधारित थी और वह ज्यादातर झाकियों में नजर भी आए। इस बार की थीम गांधी, कृषि, किसान और पशुपालन पर आधारित है।

इस साल के गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान राजपथ पर होने वाली परेड के मुख्य आकर्षणों में 58 जनजातियों अतिथि, विभिन्न राज्यों और केंद्र सरकार के विभागों की 22 झाकियां और विभिन्न स्कूलों के छात्रों द्वारा झांकियां प्रस्तुत की गईं। इस साल गणतंत्र दिवस की थीम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से जुड़ी थी और कई राज्यों की झाकियां राष्ट्रपिता पर केन्द्रित रहीं। 

पिछले वर्ष पहली बार आईसीएआर को झांकी निकालने की मंजूरी दी थी गई थी। असल में गांधी को थीम में रखने का मकसद महात्मा गांधी की कृषि और किसान को लेकर उनकी सकारात्मक सोच है। कम हो लोगों को मालूम होगा कि अपनी जिज्ञासु प्रवृत्ति के कारण उन्होंने दुग्ध उत्पादन के बारे में ज्ञान अर्जन के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के बेंगलोर केंद्र पर साल 1927 में 15 दिनों का प्रशिक्षण लिया था।


इसके साथ ही गांधी जी ने इंदौर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट इंड्रस्टी में साल में 1935 में खुद जाकर कम्पोस्ट तैयार करने की प्रक्रिया देखी। गांधी ने अपने विचारों में स्वदेशी नस्लों, जैविक कृषि और बकरी के दूध को उत्तम स्वास्थ्य के लिए बढ़ावा देना शामिल किया था। आईसीएआर की इस झांकी में दुग्ध उत्पादन, देसी नस्लों के विकास और उपयोग व पशुपालन आधारित जैविक कृषि की उपयोगिता के साथ ही गांव की समृद्धि का दिखाया गया है।


राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजे गए 26 बच्चे भी खुली जीप में बैठकर झांकी का हिस्सा बनें। इस साल गणतंत्र दिवस परेड का समय करीब 90 मिनट रहा। महात्मा गांधी की 'समाधि' को सुरक्षा कवच मुहैया कराने वाले केंद्रीय अर्ध सैनिक बल सीआईएसएफ की झांकी भी इस बार 11 साल के अंतराल के बाद गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा ले रही है। बल की झांकी में महात्मा गांधी की समाधि पर सुरक्षा में तैनात जवानों को दिखाया जाएगा।  

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