कोटा। कोटा प्रतियोगी परीक्षाओं का हब कहा जाता है। कोचिंग संस्थानों की राजधानी है कोटा। देश के सभी अग्रणी कोचिंग संस्थान यहां हैं। देशभर से आए लाखों छात्र यहां के हॉस्टल में रहकर अपने भविष्य को बेहतर बनाने की तैयारी करते हैं, लेकिन जब उन्हें सफलता नहीं मिलती है तो वे आत्महत्या करने का फैसला कर बैठते हैं। कोटा में हुए आत्महत्याओं के मामलों में सबसे ज्यादा मददगार पंखा साबित हुआ है। ऐसे में कोटा हॉस्टल एसोसिएशन ने फैसला किया है कि हॉस्टल के सभी पंखों में स्प्रिंग और सेंसर लगाया जाएगा, ताकि आत्महत्या को रोका जा सके।
ज्यातार आत्महत्याएं पंखे के सहारे लटक कर हुई हैं। कोटा हॉस्टल एसोसिएशन ने सभी हॉस्टल के पंखों में स्प्रिंग और सेंसर लगाने को अनिवार्य कर दिया है। कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल ने बताया कि एसोसिएशन फैसला किया है कि हॉस्टल के पंखों में सिक्रेट स्प्रिंग और सायरन सेंसर लगाए जाएंगे। छिपा हुआ स्प्रिंग केवल 20 किलो तक का भार ही वहन कर पाएगा। इससे ज्यादा वजन होने पर स्प्रींग बाहर टूटकर नीचे गिर जाएगा, जबकि सेंसर आवाज करने लगेगा।
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गुजरात की एक कंपनी को ये स्प्रिंग, सायरन और सेंसर सप्लाई के ऑर्डर दिए गए हैं। दो से तीन महीनों में सेंसर सभी हॉस्टल में लग जाएंगे। इसके अलावा बायोमीट्रिक अटेंडेंस मशीन भी रोज की हाजिरी के लिए लगाए जाएंगे, जिसे वार्डर और पैरेंट्स भी एक्सेस कर सकते हैं। शहर के आस-पास के 90 प्रतिशत हॉस्टल्स में बायोमीट्रिक मशीनें लगायी जा चुकी हैं। लगभग 500 हॉस्टल्स एसोसिएशन के साथ रजिस्टर्ड हो चुके हैं। हॉस्टल के इंट्री और आउट गेट पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं।
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार 2014 में कोटा में फेल होने की डर से 45 बच्चों ने आत्महत्या कर ली थी, जबकि पिछले साल 17 छात्रों ने कोटा में मौत को गले लगा लिया। प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन भी आत्महत्या को रोकने का प्रयास कर रहा है। कोटा में इस समय लगभग 2 लाख छात्र आईआईटी/जेईई की तैयारी कर रहे हैं।
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